चित्तौड़गढ़ के बाहरी इलाके में स्थित नागरी गाँव आज एक प्रख्यात पर्यटन स्थल है, और कहा जाता है कि कभी यह क्षेत्र मौर्य साम्राज्य का एक प्रमुख राज्य हुआ करता था। प्राचीन काल में इसे मझिमिका या मध्यिका कहा जाता था और मौर्य और गुप्त काल के दौरान इसका बड़े पैमाने पर विकास हुआ। उत्खनन के दौरान यहां पाए जाने वाले सिक्कों की एक बड़ी संख्या को जब आप देखेंगे, तो इस क्षेत्र पर हिंदू और बौद्ध प्रभावों कर परिलक्षण स्वयं महसूस करेंगे। इसके अतिरिक्त यहाँ सिबी जनजातियों के सिक्के भी पाए गए हैं। अलग-अलग कालखंडों के दौरान नागरी का शासन विभिन्न शासकों के अधीन रहा, जिन में पश्चिमी क्षत्रपों, हूणों, मालवों जैसे नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं। 

यदि आप इस क्षेत्र में घूमने आएँ तो यहाँ का प्राचीन शिव मंदिर, हाथियों का बाड़ा और उभादिष्ट या प्रकाश स्तम्भ देखना हरगिज़ न भूलें, अन्यथा आपका मज़ा अधूरा रह जाएगा। विशेषकर उन लोगों के लिए जो इस क्षेत्र के इतिहास के बारे में अधिक विस्तार से जानना चाहते हैं, यह वास्तव में एक आदर्श स्थान है।  

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