भारतीय-आर्य शैली में निर्मित कुंभ श्याम मंदिर का निर्माण मेवाड़ के शासक महाराणा संग्राम सिंह प्रथम (1482-1528) ने कृष्ण भक्ति के लिए प्रसिद्ध अपनी बहू मीरा बाई के विशेष अनुरोध पर किया था। यह मंदिर मीरा बाई की वैयक्तिक तपस्थली के रूप में प्रतिष्ठित रहा, और यहाँ पर भगवान विष्णु की पूजा-आराधना में वे घंटों तक लीन रहा करती थीं। यह मंदिर भगवान विष्णु के एक अवतार, वाराहावतार को समर्पित है और चित्तौड़गढ़ के सबसे प्रसिद्ध हिन्दू आराधना स्थलों में से एक है।  

यह खूबसूरत मंदिर चित्तौड़गढ़ किले के अंदर स्थित है और मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि मीराबाई के गुरु वाराणसी के संत रविदास के पदचिह्न इस मंदिर की पवित्र भूमि में आज भी मौजूद हैं। किंवदंती है कि मीरा बाई इस मंदिर में गरीबों और तीर्थयात्रियों को भोजन करवाया करती थीं। पिरामिड के आकर के एक स्तंभ, ऊंची छतों और मेहराबों से सुसज्जित यह मंदिर एक भव्य आराधना स्थल है जहाँ विभिन्न हिंदू देवी-देवताओं की स्थापित हैं, और जो आपके मन में स्वयं ही भक्ति भावना का संचरण कर देता है। 

अन्य आकर्षण