परवाणू

चंडीगढ़ से मात्र 30 किमी दूर स्थित परवाणू पहाड़ों में एक बेहतरीन ग्रीष्मकालीन भ्रमण स्थल है। यह शहर हिमाचल प्रदेश के सोलन जिले का एक सुरम्य हिस्सा है जिसे एक बड़ी नदी कालका शहर से अलग करती है। परवाणू के दर्शनीय मनोरम स्थल फलों के बागों से समृद्ध हैं। चूंकि यहाँ का मौसम मध्यम और सुखद है, इसलिए शहर भर में सेब और आड़ू के कई बगीचे मिलते हैं। नतीजतन, परवाणू न केवल ताजे फल खरीदने के लिए एक शानदार जगह है, बल्कि यहाँ घर के बने प्राकृतिक फलों के संरक्षित उत्पाद जैसे जैम इत्यादि भी मिलते हैं। इस शहर के पास से केबल कार की सवारी ली जा सकती है और आसपास स्थित सुन्दर शिवालिक श्रेणियों की सैर की जा सकती है। कुछ स्थानीय आकर्षण जिन्हें देखना बिल्कुल नहीं भूलना चाहिए उनमें टिम्बर ट्रेल, गुरुद्वारा नाडा साहिब, काली माता मंदिर और मनसा देवी मंदिर शामिल हैं। काली माता मंदिर और मनसा देवी मंदिर काफी लोकप्रिय हैं और यहाँ हर साल हजारों आगंतुक आते हैं। सिख भक्तों के लिए गुरुद्वारा नाडा साहिब एक महत्वपूर्ण गंतव्य है।

परवाणू

भाखड़ा नांगल बांध

सतलज नदी पर बना भाखड़ा नांगल बांध एशिया का दूसरा सबसे ऊंचा बांध है, जिसकी ऊंचाई लगभग 207 मीटर है। इस वास्तुशिल्प चमत्कार को भलीभांति देखने के लिए यात्रियों को एक दिन का समय देना चाहिए। 518 मीटर की लंबाई और 9.1 मीटर की चौड़ाई वाली यह एक विशाल संरचना है जो अपने आकार से प्रभावित कर देती है। यह पंजाब और हरियाणा के सभी खेतों के लिए पानी का स्रोत है, जो देश के सबसे महत्वपूर्ण कृषि राज्यों में से हैं। इसका उपयोग पनबिजली उत्पादन के लिए भी किया जाता है। बांध के जलाशय, जिसे गोबिंद सागर बांध कहा जाता है, की जल क्षमता 9.34 बिलियन क्यूबिक मीटर है। यह लगभग 88 किमी लंबा और 8 किमी चौड़ा है। हालांकि वास्तविक बांध को देखने के लिए अनुमति की आवश्यकता होती है, लेकिन जलाशय सभी के लिए खुला है।

भाखड़ा नांगल बांध

मोरनी हिल्स

चंडीगढ़ के पास स्थित पहाड़ी शहरों में से एक मोरनी सप्ताहांत पर आराम करने के लिए एक शानदार जगह है। शिवालिक रेंज की निचली पहाड़ियों में स्थित यह शहर स्थानीय लोगों और लंबी दूरी से आए पर्यटकों में समान रूप से लोकप्रिय सुरम्य स्थान है। यहाँ आएँ तो कुछ समय के लिए क्षेत्र के आसपास के मंदिरों के साथ-साथ मोरनी किले का भी अवलोकन अवश्य करें। मोरनी में दो झीलें हैं, जो हरी-भरी पहाड़ियों से घिरी हुई हैं और निश्चल जल में बने हुए उनके प्रतिबिंब अद्भुत शांत माहौल का निर्माण करते हैं। मोरनी रोमांचप्रेमी यात्रियों को आनंद लेने के पर्याप्त अवसर प्रदान करता है। यहाँ लंबी पैदल प्रकृतियात्रा, रॉक क्लाइम्बिंग अर्थात चट्टानों पर चढ़ने का अनुभव लिया जा सकता है और पास ही टिक्कर ताल नामक लोकप्रिय स्थान पर अपना शिविर लगाया जा सकता है। यह क्षेत्र कई पक्षी प्रजातियों से भरा है और पक्षी प्रेमियों के लिए स्वर्ग जैसा है।

मोरनी हिल्स

पिंजौर उद्यान

इसे यादविंद्र गार्डन भी कहा जाता है, तथा यह खूबसूरत पिंजौर उद्यान मुगल शैली में बनाया गया है। इस बाग का डिजाइन 17 वीं शताब्दी में मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा नियुक्त नवाब फिदल खान द्वारा तैयार किया गया था। यह उद्यान लगभग 100 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ है और अपनी हरियाली, झरने और शांत जलाशयों के लिए जाना जाता है। यह भारत में सीढ़ीदार बागवानी का एक अच्छा नमूना है। यदि आप यहां जा रहे हैं तो अप्रैल और जून के बीच, बैसाखी के फसल उत्सव के समय अपनी यात्रा करें, जब यहाँ के बगीचे वार्षिक आम उत्सव की मेजबानी करते हैं। इस उद्यान में एक मिनी चिड़ियाघर, एक जापानी उद्यान, एक नर्सरी और विभिन्न पिकनिक स्पॉट भी हैं।

पिंजौर उद्यान

रॉक गार्डन

रॉक गार्डन मानव सरलता, रचनात्मकता और दृढ़ता का प्रतीक है, और यहाँ जाना एक अद्भुत अनुभव है। यह एक खुला प्रदर्शनी हॉल है जहाँ एक ही कलाकार नेक चंद का काम स्थापित है। यह उद्यान जोड़े गए कई आंगनों की एक श्रृंखला है, जिनमें से प्रत्येक में कच्चे माल के एक मिश्रण से बनाई गई एकरूप मूर्तियां शामिल हैं। स्थानीय किंवदंती के अनुसार 1960 के दशक की शुरुआत में अपने नियमित दिन की नौकरी का काम पूरा करने के बाद, नेक चंद ने अपने रॉक गार्डन पर काम करना शुरू कर दिया। उन्हें जो भी कच्चा माल आसानी से मिला, उससे मूर्तियां बनाईं। उन्होंने पकड़े जाने के भय से गोपनीयतापूर्वक काम किया क्योंकि जिस भूमिक्षेत्र पर उन्होंने एक छोटा सा बगीचा बनाना शुरू किया था वह कानूनी रूप से उनका नहीं था। जब अधिकारियों को पता चला, तो वे उस काम को देख कर हैरान रह गए, जो उन्होंने अपने दम पर किया था। सौभाग्य से, उन्होंने उनकी प्रतिभा को स्वीकार करने और अपने रचनात्मक कार्य के लिए उन्हें वेतन प्रदान करने का निर्णय लिया, ताकि वे रॉक गार्डन बनाने पर पूरा समय केंद्रित कर सकें। इस परियोजना में सहायता करने के लिए उन्हें लगभग 50 लोगों का एक कार्यबल भी प्रदान किया गया था। नेक चंद ने शहर में एक स्थानीय नेटवर्क स्थापित किया, जिसके माध्यम से टूटी हुई क्रॉकरी और त्याग की गई सामग्री को इन शानदार मूर्तियों के रूप में पुनर्नवीकृत करने के लिए भेजा जा सकता था।

रॉक गार्डन का प्रवेश द्वार कमाल का है। जैसे ही कोई इसमें प्रवेश करता है, उसे बहुत सी व्यवस्थाओं और मूर्तियों के दर्शन होते हैं। यहाँ विशाल सेट हैं, चट्टानों और मूर्तियों का स्वप्न-समान संयोजन है, स्थानीय विषयों से लेकर मुड़े पैरों के साथ बैठे अंतरिक्ष यात्रियों के समूह तक विभिन्न पात्रों की मूर्तियाँ हैं। यह स्वप्नलोक की यात्रा या ऐलिस के जादुईलोक की सैर जैसा अनुभव है। झरने, पुल, गलियाँ और रास्ते इसे एक अविस्मरणीय अनुभव बनाते हैं।

रॉक गार्डन

ज़ाकिर हुसैन रोज़ गार्डन

30 एकड़ में फैला यह एशिया का सबसे बड़ा गुलाब का बाग है जिसका नाम भारत के पूर्व राष्ट्रपति जाकिर हुसैन के नाम पर रखा गया है। 1967 में स्थापित इस बाग में 1,600 विभिन्न प्रजातियों के 50,000 से अधिक गुलाब के पौधे हैं जो सावधानीपूर्वक नियोजित रूप से लगाए गए हैं। यहाँ मेहराबों और मैदानों से बने रास्ते हैं जो खिले हुए गुलाब के फूलों से सुगंधित हैं। यह चंडीगढ़ के लोगों के साथ-साथ उन लोगों के लिए सबसे लोकप्रिय स्थलों में से एक है जो यहाँ भ्रमण करने आते हैं। यह गुलाब का बगीचा कई औषधीय पेड़ों का भी स्रोत है। यह शहर के केंद्र के निकट स्थित है, आसानी से सुलभ है और स्थानीय लोग अक्सर पिकनिक के लिए यहां आते हैं। यहाँ फरवरी के अंत में या मार्च की शुरुआत में मनाया जाने वाला वार्षिक गुलाब का त्योहार भव्य स्तर पर देखा जाता है।

ज़ाकिर हुसैन रोज़ गार्डन

सुखना झील

भारत में सबसे सुंदर मानव निर्मित झीलों में से एक, चंडीगढ़ में स्थित सुखना झील एक प्राकृतिक स्वर्ग जैसी है। निवासियों और पर्यटकों के में एक समान लोकप्रिय यह गंतव्य आराम और मनोरंजन के कई विकल्प प्रदान करता है।यहाँ नौका विहार के लिए सुविधाएं उपलब्ध हैं, और इसके शिकारे बेड़े नवीनतम और सबसे आकर्षक हैं। इसमें नौकायन की सुविधा भी है। कई कलाकार झील का दौरा करते हैं, इसलिए यदि आप चाहें, तो आप अपना चित्र बनवा सकते हैं। शहर के वास्तुकार ली कार्बूजियर द्वारा कई स्केच बनाए गए हैं जो झील के चारों ओर प्रदर्शित किए गए हैं। झील के आसपास सैर के लिए एक जॉगिंग ट्रैक और बैठने की व्यवस्था है। यहाँ के सूर्यास्त और सूर्योदय लोकप्रिय हैं और बच्चों को बतख से खेलते देखा जा सकता है। यह झील सर्दियों के महीनों के दौरान साइबेरियाई बतख और सारस जैसे प्रवासी पक्षियों को आकर्षित करती है ।

सुखना झील