भोजपुर नामक प्राचीन शहर इतिहास और आध्यात्मिकता से गहरा जुड़ाव रखता है और पर्यटकों को अपने अतीतकालीन सौन्दर्य की ओर आकर्षित करता है। इसका मुख्य आकर्षण भव्य भोजेश्वर मंदिर है, जो भारतीय वास्तुकला का बेहतरीन नमूना है। पूर्व के सोमनाथ के नाम से मशहूर इस मंदिर में एक भव्य और समृद्धतापूर्वक उत्कीर्ण गुंबद है जो चार सशक्त स्तंभों पर टिका हुआ है। इस मंदिर के परिसर में प्रवेश करते ही आपको इसका भव्यतापूर्ण नक्काशीदार प्रवेश द्वार देखने को मिलता है जिसके दोनों तरफ दो सुंदर मूर्तियां स्थापित हैं। इस मंदिर के बारे में असामान्य बात यह है कि यह केवल आंशिक रूप से पूर्ण है। इसकी संरचना वर्गाकार है, और इसकी प्रत्येक दिशा की लम्बाई 66 फीट है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर शहर के सबसे महत्वपूर्ण आध्यात्मिक स्थलों में से एक है। शिवरात्रि के त्योहार के दौरान देश भर से भक्त भगवान शिव का आशीर्वाद लेने के लिए इस पौराणिक मंदिर में आते हैं। यहाँ की मुख्य मूर्ति लिंगम है, जो 7.5 फीट ऊँची है और एक विशाल चबूतरे पर स्थापित है। अखंड पाषाण में गढ़े गए इस लिंगम की वास्तुकला अद्भुत है और यह चूना पत्थर के तीन खण्डों से बना हुआ है। इस मंदिर के निर्माण का श्रेय 11वीं शताब्दी के प्रसिद्ध परमार शासक राजा भोज को दिया जाता है।

भोजपुर से थोड़ी दूरी पर एक जैन मंदिर है जिसमें तीन मूर्तियाँ हैं। इन मूर्तियों में से एक महावीर की और दो पार्श्वनाथ की हैं। इस मंदिर के पश्चिम में एक झील हुआ करती थी, लेकिन अब केवल बड़े बांधों के अवशेष ही बचे हर हैं। यह क्षेत्र पहाड़ियों की एक प्राकृतिक दीवार द्वारा परिरक्षित होने के कारण जल संरक्षण के लिए बहुत अनुकूल था। भोजपुर भोपाल शहर के बाहरी इलाके में स्थित है।

अन्य आकर्षण