भारत के नियाग्रा के नाम से प्रसिद्ध गोकक जलप्रपात देश के सबसे सुंदर जलप्रपातों में से एक है। घाटप्रभा नदी से निकलता जल लंबे घुमावदार रास्ते से गुज़रने के बाद घोड़े की नाल के आकार की चट्टान पर 170 फीट की ऊँचाई से गिरता है। यह चट्टान गोकक घाटी के एक सुरम्य भाग में स्थित है। गोकक जलप्रपात का मुख्य आकर्षण एक 200 मीटर लंबा लटकता हुआ पुल है, जो ज़मीन की सतह से 14 मीटर ऊपर है। गोकक जलप्रपात काफी ऐतिहासिक महत्व भी रखता है क्योंकि 1887 में भारत में पहली बार यहीं पर बिजली उत्पन्न की गई थी। उस जनरेटिंग स्टेशन पर रोपवे के माध्यम से पहुँचा जा सकता है, जो वास्तव में एक रोमांचकारी अनुभव है। पर्यटक चट्टानी घाट के दोनों ओर स्थित चालुक्य युग के स्मारकों का भी दौरा कर सकते हैं। इनमें दुर्गा, शनिमुख और महालिंगेश्वर के मंदिर शामिल हैं जो वास्तुकला की पारंपरिक चालुक्य शैली में निर्मित हैं। बेलगाम से लगभग 60 किमी की दूरी पर स्थित यह जलप्रपात अपनी सुंदरता, फैलाव और आकृति के लिए मशहूर है। जून से सितंबर का समय यहां घूमने के लिए सबसे अच्छा समय होता है क्योंकि उस समय यह झरना अपनी सुन्दरता के उफ़ान पर होता है।

अन्य आकर्षण