उल्लाल नाम का अनोखा नगर अपनी धार्मिक समृद्धि के लिए प्रसिद्ध है। इसका मुख्य आकर्षण सोमनाथेश्वर मंदिर है, जो अरब सागर के तट पर स्थित है। 16 वीं शताब्दी में रानी अब्बाका देवी के शासनकाल में निर्मित यह मंदिर अपनी अद्वितीय दक्षिण भारतीय वास्तुकला और शांतिपूर्ण परिवेश के कारण आगंतुकों को आकर्षित करता है। इसका एक अन्य आकर्षण सैय्यद मदनी की दरगाह है, जहाँ 400 साल पहले मदीना से यहाँ आए तथा अध्यात्म के माध्यम से गरीबों की मदद करने वाले सूफी फ़क़ीर सैय्यद मदनी की कब्र स्थित है। इस दरगाह पर उर्स त्योहार के दौरान तीर्थयात्रियों का हुजूम लगता है। यह त्यौहार हर पांच साल में एक बार बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। पर्यटक 1926 में स्थापित सेंट सेबेस्टियन चर्च में भी जा सकते हैं। यह मैंगलोर के आसपास स्थित सबसे प्रसिद्ध चर्चों में से एक है और अपनी शानदार वास्तुकला से पर्यटकों को आकर्षित करता है। उल्लाल के अन्य महत्वपूर्ण स्थानों में उल्लाल जामा मस्जिद भी शामिल है, जिसे फ़क़ीर सैय्यद मोहम्मद शरीफुल मदनी की याद में बनाया गया था।

उल्लाल इस देश के सबसे पुराने शहरों में से है, और कभी तुलु साम्राज्य की राजधानी था। 15 वीं शताब्दी के दौरान यहाँ पुर्तगालियों का शासन था और उसके प्रभाव को पूरे शहर में देखा जा सकता है। 

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