ग्रेनाइट की मूर्तियाँ

बेकल के प्रतिभाशाली कलाकारों ने अपने शानदार शिल्प कौशल की मदद से ग्रेनाइट पत्थर में विभिन्न देवी-देवताओं की खूबसूरत मूर्तियाँ गढ़ने के लिए व्यापक ख्याति अर्जित की है। इनके सदियों पुराने इस शिल्प को दूर-दूर से आए पर्यटकों ने सराहा है। अलप्पुझा में स्थापित भगवान बुद्ध की करुमादिकुट्टन मूर्ति इस राज्य के मूर्तिकारों की रचनात्मक उत्कृष्टता का बेहतरीन नमूना है। 11 वीं शताब्दी में स्थापित की गई यह मूर्ति ठोस काले ग्रेनाइट से बनी है।

इन मूर्तियों को बनाने की कला पीढ़ियों से चली आ रही है और एक मूर्ति के निर्माण को पूरा करने में लगने वाला समय इसके आकार पर निर्भर करता है। इन्हें बनाने के लिए कच्चा माल आम तौर पर तमिलनाडु, अंबासमुद्रम की खदानों से लाया जाता है और फिर उस पर नक्काशी की जाती है। आप इस क्षेत्र में विभिन्न हस्तकला की दुकानों से ग्रेनाइट की सुन्दर नक्काशीदार मूर्तियों की खरीदारी कर सकते हैं।

ग्रेनाइट की मूर्तियाँ

लकड़ी नक्काशी

केरल का कासरगोड क्षेत्र यहाँ के मंदिरों और चर्चों में की जाने वाली लकड़ी की नक्काशी के लिए प्रसिद्ध है। बेकल और उसके आस-पास के इलाकों में मंदिरों के दरवाजों पर देवी-देवताओं की छवियों को उकेरा गया है, जबकि मंदिर के शीर्ष पर की जाने वाली लकड़ी की त्रियायामी नक्काशी इनकी प्रमुख विशेषता है। लकड़ी नक्काशी की प्रक्रिया में कागज के एक टुकड़े पर उसके चित्र को उकेरा जाता है जिसे एक तेज चाकू का उपयोग करके किनारों से काट लिया जाता है। ऐसा करने से प्राप्त कटे हुए चित्र को फिर से नक्काशी का प्रारूप चिन्हित करने के लिए लकड़ी पर रखा जाता है, जिसके बाद कलाकार अंत में लकड़ी को विभिन्न आकृतियों और रूपरेखाओं के अनुसार उकेरते हैं। यह बात ध्यान में रखना दिलचस्प है कि कागज़ पर कटे हुए प्रारूपों का उपयोग केवल बुनियादी रूपरेखा निर्धारित के लिए किया जाता है, जबकि आगे की अधिकांश जटिल नक्काशी का कार्य यहाँ के कलाकार अपनी कल्पना और रचनात्मकता के आधार पर ही करते हैं। लकड़ी की वस्तुओं को तराशने के लिए आधार बनाए जाने वाले विषयों में पौराणिक महाकाव्यों, पुष्पसज्जा और पशुओं की मूर्तियों के दृश्य शामिल हैं। इसी प्रकार यहाँ लकड़ी की चौखटें और प्राचीन फर्नीचर की वस्तुएँ भी लकड़ी की नक्काशी के उपयोग से बनाई जाती हैं। कुछ शिल्पकार भगवान बुद्ध और ईसा मसीह की मूर्तियाँ, कथकली के मुखौटे, पेन स्टैंड और ऐसी अन्य वस्तुएँ बनाने के लिए गुलाब की लकड़ी का उपयोग करते हैं।

लकड़ी नक्काशी

नारियल उत्पाद

बेकल का क्षेत्र नारियल के वृक्षों से आच्छादित है। इनकी बहुतायत के कारण केरल के प्रतिभाशाली शिल्पकार अपनी रचनात्मकता का उपयोग कर कई सदियों से नारियल के खोल से सुंदर और पर्यावरण के अनुकूल उत्पाद बनाते आ रहे हैं। इन वस्तुओं को तैयार करने की प्रक्रिया जटिल है। सबसे पहले, कठिन नारियल के खोल को चिकना किया जाता है, फिर इसके किनारे को विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए तैयार औजारों का उपयोग करके काटा जाता है। बेकल में दैनिक उपयोग की वस्तुओं से लेकर कटोरे, चाय के बर्तन, कप, चम्मच और ऐश-ट्रे से लेकर सजावटी सामान जैसे लैंप शेड्स, गुलदान, दीवार पर लटकने वाली कलाकृतियों और पायदान तक, नारियल के खोल से बनी वस्तुओं को बेचने वाली हस्तशिल्प दुकानों की एक विस्तृत श्रृंखला मौजूद है। नारियल के खोल से बने हुक्के और बड़े फूलदानों जैसे कुछ विशिष्ट उत्पादों की सुंदरता को बढ़ाने तथा उन्हें मज़बूत बनाने के लिए उनमें पीतल का प्रयोग भी किया जाता है।

नारियल उत्पाद