यह छोटा और सुदूर गांव हिंदू तीर्थयात्रियों के लिए किसी अमूल्य  खजाने से कम नहीं है। बाबा बैद्यनाथ धाम से 12 किमी की दूरी पर स्थित रिखियापीठ, जिसे श्री श्री पंच दशनाम परमहंस अलखबरह भी कहा जाता है, देश के सबसे पुराने योग आश्रमों में से एक है। स्वामी शिवानंद सरस्वती के अनुयायी स्वामी सत्यानंद सरस्वती द्वारा स्थापित, आश्रम कई प्रबुद्ध संतों का निवास रहा है। इसे तपोभूमि के रूप में जाना जाता है, जो गहन साधना और स्वामी सत्यानंद की तपस्या का स्थान है। यहां व्याप्त शांति की वजह ऋषियों की उपस्थिति और उनकी कठिन साधना को ही माना जा सकता है। पीठ शब्द का अर्थ है उच्च शिक्षा का आसन, इस प्रकार रिखियापीठ ऋषि शब्द से बना है, जिसमें से ऋखिया व्युत्पन्न है, जिसका उद्देश्य है वेदों, उपनिषदों और पुराणों में वैदिक वंश के ऋषियों द्वारा प्रचारित  प्राचीन आध्यात्मिक ज्ञान का प्रसार करना, साथ ही जाति, पंथ, राष्ट्रीयता, धर्म और लिंग की परवाह किए बिना सभी को आधुनिक कौशल प्रदान करना। सीता विवाह और एक भव्य मेले के दौरान इस आश्रम को जरूर देखने जाना चाहिए जो नवंबर और दिसंबर के दौरान हर साल आयोजित किया जाता है।

अन्य आकर्षण