आदिवासी महिलाओं की पोशाक

एक रैप-अराउंड स्कर्ट जैसी दिखती पुआन नाम की एक पारंपरिक पोशाक मिज़ो महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला सबसे पसंदीदा पोशाक है। मिज़ो महिलाओं के बीच पुआन इतना लोकप्रिय इसलिए है कि इसके डिजाइन बहुत सुंदर और पहनने में फिटिंग सही आती है। पुआन आम तौर पर काले और सफेद रंगों में बने होते हैं। त्योहारों के दौरान, महिलाएं पुआनचेई और कावरेची नाम की एक पोशाक पहनती हैं, जोकि कपास से बने एक हस्तनिर्मित ब्लाउज जैसा होता है।

आदिवासी महिलाओं की पोशाक

विशेष पोशाक

विशेष पोशाक के रूप में एक ख़ास कपड़ा कमर के चारों ओर कसकर लपेटा जाता है। बाघ या भालू की खाल से बना हुआ कवच एक कंधे पर, तथा दूसरे कंधे के ऊपर एक डाह या दाओ नामक कवच पहना जाता है। हाथ में अस्त्र-शस्त्र की उपस्थिति इस विशेष पोशाक को पूरा करती है। जिन पुरुषों ने थांछुआ का खिताब अर्जित किया है या जो युद्ध में अन्य पुरुषों को मार चुके हैं, एक विशिष्ट प्रकार का कपड़ा पहनते हैं, जिसके साथ सिर ढँकने के लिए एक विशेष परिधान भी होता है जिसे छावँडॉल और अर्के-ज़ियाक के रूप में जाना जाता है। पुरुषों और महिलाओं दोनों द्वारा पहनी जाने वाली भी कुछ पोशाकें हैं, जैसे न्गोतेखेर पुआन, ह्मारम और साइना ह्नो पुआन इत्यादि।

 

विशेष पोशाक

आदिवासी पुरुषों की पोशाक

मिजो पुरुष साधारण जीवन जीते हैं जो उनके कपड़े पहनने के तरीके से स्पष्ट होता है। एक आदमी की पोशाक में कपड़े का मात्र 7 फुट लंबा और 5 फुट चौड़ा टुकड़ा लगता है। बाएं हाथ में एक कोने को पकड़ा जाता है, और दूसरे कोने को बाएं कंधे के ऊपर से निकाल कर पीठ के पीछे और फिर दाहिने हाथ के नीचे से होते हुए छाती के दूसरी तरफ लाया जाता है। विभिन्न रूपसज्जा के अनुसार लाल और सफेद रंग की पट्टियाँ इस परिधान को एक सजावटी रूप देती हैं। सर्दियों के मौसम के दौरान, पुरुष अपने ऊपरी शरीर के चारों ओर कपड़े का एक अतिरिक्त टुकड़ा लपेटते हैं जिसे एक सफेद कोट के साथ जोड़ा जाता है। कोट के आस्तीन में सफेद और लाल पट्टियाँ होती हैं। गर्मियों के दौरान, पुरुष आमतौर पर ऐसी पोशाक पहनना पसंद करते हैं जिसे कमर के चारों ओर लपेटा जा सकता है। गर्मी के मौसम में चिलचिलाती धूप से सुरक्षा देने के लिए सिर पर पगड़ी भी पहनी जाती है।

आदिवासी पुरुषों की पोशाक

रियांग

रियांग समुदाय शादी समारोह के दौरान दुल्हन को उपहार के रूप में अन्य मिज़ो समुदायों द्वारा पहने जाने वाले कपड़ों के समान ही, लेकिन कुछ विशेष कपड़े देता है। रियांग समुदाय के सदस्यों द्वारा पहने जाने वाले पारंपरिक कपड़े बनावट में काफी सरल होते हैं। जहां पुरुष ऊपरी शरीर के चारों ओर अंगवस्त्र जैसा कपड़ा ओढ़ते हैं और नीचे एक पारंपरिक हाथ से बुना हुआ कपड़ा पहनते हैं; वहीं महिलाएं म्नाई के नाम से जाना जाने वाला एक लंबा कपड़ा पहनती हैं, जो एक लपेटी हुई स्कर्ट जैसा दिखता है। अपने शरीर के ऊपरी आधे हिस्से को ढंकने के लिए महिलाएं रिक्टौह पहनती हैं। इन परिधानों में इस्तेमाल होने वाले रंगीन कपड़े आमतौर पर समुदाय की महिलाओं द्वारा बुने जाते हैं।

रियांग

पैइटिस

पैइटिस जनजातीय समुदाय अत्यधिक आकर्षक वेशभूषा बनाता है और अपने जटिल और मौलिक डिजाइनों के लिए जाना जाता है। उनका पसंदीदा परिधान थांगौ पुओन है, जो एक पारंपरिक पोशाक है। वे पुओन डम, जॉल पुओन और पुओन पाई जैसे पारंपरिक कपड़ों का उपयोग करते हैं। 

पैइटिस

गहने

मिजोरम के पुरुषों और महिलाओं द्वारा आभूषणों को एक आवश्यक श्रंगार माना जाता है और यह उनकी रंगीन पोशाक के बिल्कुल विपरीत हैं। ज्यादातर लुशाई पुरुष अपने बालों में कई तरह के आभूषण लगाते हैं। हाथी दांत, धातु और हड्डी से बने सिर के आकार के पिन सबसे आम आभूषणों में से हैं। थिफ़ेन अर्थात एक छोटा मनके का हार भी क्षेत्र की विभिन्न जनजातियों द्वारा पहना जाने वाला एक प्रसिद्ध आभूषण है। मिज़ो लोगों की पसन्द का एक अन्य लोकप्रिय आभूषण बड़े अम्बर मोती से बना हार होता है जिसे थिहुस के नाम से जाना जाता है। वहीं महिलाएं वरिका नामक एक बांस की पट्टी से बना आभूषण भी अपने सिर पर पहनती हैं, जिसमें रंग-बिरंगे पंख लगे होते हैं।

गहने

गहने

मिजोरम के पुरुषों और महिलाओं द्वारा आभूषणों को एक आवश्यक श्रंगार माना जाता है और यह उनकी रंगीन पोशाक के बिल्कुल विपरीत हैं। ज्यादातर लुशाई पुरुष अपने बालों में कई तरह के आभूषण लगाते हैं। हाथी दांत, धातु और हड्डी से बने सिर के आकार के पिन सबसे आम आभूषणों में से हैं। थिफ़ेन अर्थात एक छोटा मनके का हार भी क्षेत्र की विभिन्न जनजातियों द्वारा पहना जाने वाला एक प्रसिद्ध आभूषण है। मिज़ो लोगों की पसन्द का एक अन्य लोकप्रिय आभूषण बड़े अम्बर मोती से बना हार होता है जिसे थिहुस के नाम से जाना जाता है। वहीं महिलाएं वरिका नामक एक बांस की पट्टी से बना आभूषण भी अपने सिर पर पहनती हैं, जिसमें रंग-बिरंगे पंख लगे होते हैं।

गहने

हमार

हमार जनजाति की महिलाएं बेहतरीन बुनकर हैं जो छोटे-छोटे करघों पर काम करती हैं। घरेलू स्तर पर बुने गए धागे को अलग-अलग रंगों में रंगा जाता है और फिर कपड़ों के रूप में बुना जाता है, जो आमतौर पर परिवार के लिए बनाए जाते हैं। पुरुष और महिलाएं विभिन्न प्रकार के कपड़े पहनते हैं। हमार जनजाति का मूल सिनलुंग बताया जाता है, हालाँकि सटीक स्थान अभी भी अज्ञात है। इस जगह के बारे में कई कविताओं, कहानियों और गीतों की रचना की गई है जो पीढ़ी दर पीढ़ी सौंपी जाती है। हमार जनजाति अपनी समृद्ध संस्कृति और जीवंत लोक नृत्यों के लिए जानी जाती है। उनके पारंपरिक लोक नृत्यों और गीतों में लड़ाई, रोमांच और इतिहास के किस्से शामिल हैं। नृत्य के लिए एक प्रकार के ड्रम खूंग का उपयोग किया जाता है। अन्य संगीत वाद्ययंत्र जिनका उपयोग यह लोग करते हैं उनमें डारमंग (पीतल का घंटा), परखुंग (बांस से बना गिटार), ह्ना मट (पत्ती से बना वाद्ययंत्र) और थिलिया (बांस की बांसुरी) शामिल हैं। नर्तकों-नर्तकियों के पहनने वाले कपड़े भी काफी रंगीन होते हैं। पुरुष पंखों से बनी एक विशेष टोपी सर पर रखते हैं और एक शॉल पहनते हैं जिसे हमार पुआन कहा जाता है। वहीं स्त्रियाँ चूड़ियाँ और गले के हार जैसे गहनों के साथ श्रंगार करती हैं।

हमार