भुवनेश्वरी मंदिर अगरतला में स्थित एक लोकप्रिय आध्यात्मिक स्थल है जिसका उल्लेख रवींद्रनाथ टैगोर के उपन्यास ‘राजर्षि’, और उनके ही नाटक ‘बिसर्जन’ में किया गया है। गोमती नदी के तट पर अगरतला से लगभग 55 किमी दूर स्थित यह मंदिर देवी भुवनेश्वरी को समर्पित है। लगभग 3 फुट ऊंचे समतल भूमिमंच पर स्थित इस मंदिर की संरचना में चार चाला छत, प्रवेश द्वार पर स्थित स्तूप और एक प्रमुख कक्ष शामिल हैं। इसकी वास्तुकला का मुख्य आकर्षण फूलों की आकृतियों से सुसज्जित रूपांकन हैं जो इसके स्तंभों और स्तूपों को सुशोभित करते हैं। आज यह मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की देखरेख में है। इस मंदिर तक पहुँचने के रास्ते में माणिक्य वंश के महाराजा गोविंदा माणिक्य के महल के खंडहरीय अवशेष प्राप्त होते हैं, जिनके बारे में माना जाता है कि उन्होंने इसे 17 वीं शताब्दी में बनाया था।

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