यह शहर वैद्यनाथ स्वामी मंदिर के लिए जाना जाता है, जो कि शिवलिंग के रूप में पूजे जाने वाले श्री वैद्यनाथेश्वर को समर्पित है। यहां बड़े-बड़े बाड़े और पांच-टीले वाला गोपुर भी है। पवित्र गर्भगृह से पहले बाड़े में भगवान सुब्रमण्य की मूर्ति है, जिन्हें मुथुकुमार स्वामी के रूप में पूजा जाता है। इसके अलावा, यहां भगवान नटराज (नृत्य के देवता के रूप में पूजे जाने वाले भगवान शिव), अंगारका और सोमास्कंद की धातु की मूर्तियां हैं, जबकि देवी दुर्गा, भगवान सूर्य और जटायु की पत्थर की मूर्तियां हैं। मंदिर की वास्तुकला कुछ ऐसी है, जिससे इसके पश्चिमी टॉवर से आने वाली सूर्य की किरणें हर साल कुछ दिनों के लिए शिवलिंग पर पड़ती हैं। इस परिसर में एक पवित्र तालाब भी है, जिसे सिद्धमीर्थम कहा जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस पवित्र तालाब में श्रद्धालु डुबकी लगाकर अपने सभी कष्टों को दूर करते हैं। यहां पर मौजूद विक्रम चोल (12 वीं शताब्दी), मराठों (18 वीं शताब्दी) और नायक (16 वीं शताब्दी) के समय के शिलालेखों को देखना न भूलें। वैथीस्वरन कोईल शहर को नाड़ी ज्योतिषम के जन्मस्थान के रूप में भी जाना जाता है। नाड़ी ज्योतिषम एक प्रकार की ज्योतिषीय कला है, जिसमें ताड़ के पत्तों के द्वारा भविष्यवाणी की जाती है। ऐसा माना जाता है कि अगर आपको आपके नाम के अनुरूप ताड़ का पत्ता मिल जाए तो, आपको आपका भविष्य पता चल जाएगा।

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