संकट मोचन मंदिर जाखू मंदिर के बाद शिमला का सबसे अधिक देखे जाने वाला आध्यात्मिक स्थल है, जो अपने शांत वातावरण और अद्भुत सौंदर्य के कारण भक्तों को खासा आकर्षित करता है। भगवान हनुमान को समर्पित इस मंदिर की स्थापना वर्ष 1950 में प्रख्यात धार्मिक शख्सियत 'बाबा नीब करोरी महाराज' ने की थी, जो शिमला की सुंदरता से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने दस दिन इन जंगलों में बिताए और एक मंदिर बनवाने का फैसला किया। अपनी शानदार वास्तुकला के लिए जाना जाने वाला संकट मोचन मंदिर में भगवान राम और भगवान शिव की भी मूर्तियां हैं। मंदिर न केवल अपनी दिव्यता से भक्तों को आकर्षित करता है, बल्कि अपने मनोरम दृश्याें से पर्यटकों का मन मोह लेता है। मंदिर परिसर के बाहर एक लोहे की बेंच है, पर्यटक जिस पर बैठकर शिमला के अद्भुत दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। समुद्र तल से लगभग 1,975 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह मंदिर शिमला-कालका राजमार्ग पर स्थित है।

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