चैल भारत के सबसे भव्य और लोकप्रिय हिल स्टेशनों में से एक है, जो पर्यटकों को अपनी बेमिसाल सुंदरता, शाही महलों और विशाल क्रिकेट के मैदानों से आकर्षित करता है। यह पहाड़ी शहर कभी पटियाला रियासत की ग्रीष्मकालीन राजधानी हुआ करता था, जो राजगढ़, साध तिबा और पांडेवा की पहाड़ियों पर फैला हुआ था। यह पर्यटन स्थल, चीड़ और देवदार के घने जंगलों से भरा हुआ हैैै, और इसका अद्भुत सौंदर्य सभी के मन को भा जाता है। यहां का मुख्य आकर्षण भव्य चैल पैलेस है। वर्ष 1891 में निर्मित यह महल पटियाला के महाराज द्वारा बनवाया गया था और अब इसे हेरिटेज हॉल में बदल दिया गया है। इसके भव्य क्लासिक फर्नीचर, बीते युग की राजसी जीवन शैली की याद दिलाते हैं। पर्यटक अभी भी महल जाकर उसका आनंद ले सकते हैं। यहां का दूसरा पर्यटन स्थल प्राचीन साधुपुल झील है, जहां पर्यटक प्रकृति के सबसे सुंदर स्थल का लुत्फ उठा सकते हैं। हरे-भरे पेड़ों और पहाड़ी ढलानों से घिरी इस झील के शांत वातावरण में पर्यटक अपना यादगार समय बिता सकते हैं। जो क्रिकेट पसंद करते हैं वे स्कूल प्ले ग्राउंड का रुख कर सकते हैं, जिसका निर्माण महाराजा भूपिंदर सिंह (1891-1938) ने करवाया था, जिन्हें यह खेल बेहद पसंद था। यह पूरी दुनिया का इकलौता प्ले ग्राउंड है, जो लगभग 7,500 फुट की ऊंचाई पर स्थित है। यहां मौजूद काली का टिब्बा या काली मंदिर, न सिर्फ एक अति विशाल अध्यात्मिक पर्यटक स्थल है, बल्कि आप यहां से इस शहर का सुंदर नजारा भी देख सकते हैं। पर्यटक चैल गुरुद्वारा भी जा सकते हैं, जो कि वर्ष 1907 में बनाया गया था। पर्यटक चैल वन्यजीव अभयारण्य में भांति-भांति के पशु और पक्षी जैसे-हिमालयन काला भालू और उड़ने वाली गिलहरी को भी देख सकते हैं। ट्रेकर्स के लिए यहां शानदार ट्रेकिंग ट्रेल्स हैं, जैसे गौरा और झज्जा का रॉकी ट्रेल्स, जहां से आप बेहतर से बेहतर नजारे देख सकते हैं। एडवेंचर लवर्स मछली पकड़ने जैसी गतिविधियों का आनंद भी ले सकते हैं, जो कि पर्वतीय क्षेत्रों में जाने वाले लोगों को बेहद पसंद आती है। चैल शिमला से लगभग 55 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है और देश के सभी हिस्सों से आप यहां बड़ी आसानी से पहुंच सकते हैं।

अन्य आकर्षण