![इटखोरी](/content/dam/incredibleindia/images/header/circuits/budha-tourism.jpg/jcr:content/renditions/cq5dam.web.1800.600.jpeg)
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इटखोरी ऐतिहासिक शहर होने के साथ-साथ प्रसिद्ध बौद्ध केंद्र भी है, जो अपने प्राचीन मंदिरों और पुरातात्विक स्थलों के लिए जाना जाता है। 200 ईसा पूर्व और 1200 ईस्वी के बीच के विभिन्न बौद्ध अवशेष यहां पाए गए हैं। इटखोरी में सबसे लोकप्रिय आकर्षण 9वीं शताब्दी का शानदार मां भद्रकाली मंदिर परिसर है। इसकी मूर्तियां क्षेत्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत के तौर पर एक साक्ष्य के रूप में उपस्थित हैं। मां भद्रकाली मंदिर से लगा हुआ मंदिर अपने भव्य शिवलिंग के लिए प्रसिद्ध है जिसमें 1,008 शिवलिंग नक्काशी के साथ सुशोभित हैं। एक और महत्वपूर्ण आकर्षण प्राचीन स्तूप है, जिसमें बोधिसत्वों की 104 छवियां हैं और इसके दोनों ओर बुद्ध के चार उपदेशों के शीलालेख हैं। वहां एक पत्थर का बड़ा टुकड़ा भी है जिसके बारे में मान्याताएं हैं कि इस पर जैन धर्म के 10 वें तीर्थंकर शीतलनाथ के पैर के निशान हैं। माना जाता है कि भगवान बुद्ध की चाची जो उन्हें ध्यान से विचलित करने के अपने प्रयासों में विफल रहीं उसने यहां पर समर्पण कर दिया। जैसा की वह इस स्थान पर वीलीन हुई तो इसका नाम 'इटखोरी' पड़ा, और 'खोरी' का अर्थ 'खोई' है।