दो एकड़ से अधिक क्षेत्र में फैला डा. एपीजे अब्दुल कलाम मेमोरियल, भारत के पूर्व राष्ट्रपति एवं महान वैज्ञानिक डा. कलाम की याद में उनकी कब्र के पास बनाया गया है। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा बनवाया गया यह स्मारक भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और विविधता में एकता का प्रतीक है। इस स्मारक में कदम रखते ही एक बार को ऐसा महसूस होता है कि आप देश की राजदानी दिल्ली स्थित इंडिया गेट पहुंच गये हों। लेकिन जैसे ही नजरें चेट्टीनाड शैली में बने विशाल द्वार पर पड़ती हैं, तो फिर से अहसास होता है कि आप कहीं दक्षिण भारत में ही हैं। स्मारक का मुख्य गुंबद जहां राष्ट्रपित भवन की हू-ब-हू प्रतिलिपी है, वहीं स्मारक के अंदर स्थापित डा. कलाम की तांबे से बनी आदमकद मूर्ती आज भी यहां उनकी मौजूदगी का सा अहसास कराती है। डा. कलाम ने जिन राकेट्स और मिसाइल्स पर अनुसंधान किया उनके माडल्स भी आगंतुकों के लिए यहां प्रदर्शित किए गये हैं। यहां पूरे स्मारक में कुल चार हाल हैं, जो डा. कलाम के संपूर्ण जीवन के विभिन्न आयामों को दर्शाते हैं। यहां कलाम साहब के जीवन से जुड़ी कुछ निजी चीजें भी प्रदर्शित की गयी हैं। यह स्थान भी रामेश्वरम के बेहद करीब है और यहां बड़ी आसानी से पहुंचा जा सकता है। 

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