नैना देवी मंदिर

झील के उत्तरी भाग पर स्थित नैना देवी मंदिर, जो स्थानीय देवी  नैना देवी को समर्पित है, एक लोकप्रिय आध्यात्मिक पड़ाव है। यह मंदिर शक्तिपीठों में से एक है (जहां देवी सती के शरीर के अलग-अलग हिस्से गिरे थे) और पूरे क्षेत्र से भक्त यहां उनके दर्शन करने आते हैं। गर्भगृह में तीन देवता हैं - बाईं ओर देवी काली, दाईं ओर भगवान गणेश और केंद्र में नैना देवी का प्रतिनिधित्व करते हुए दो आंखें। किंवदंती है कि एक बार देवी सती के पिता ने एक यज्ञ का आयोजन किया और अपने दामाद, भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया, इससे अपने पिता पर क्रोधित होकर सती ने यज्ञ में अपने आप को भस्म कर दिया। इसके बाद, भगवान शिव ने सती के शरीर को अपने कंधों पर ढोया और सृष्टि का विनाश करने के लिए, तांडव नृत्य करने लगे। संसार को नष्ट होने से बचाने के लिए, भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती के शरीर के टुकड़े कर दिए। माना जाता है कि उनकी आंखें उस स्थान पर जाकर गिरीं, जहां अब यह मंदिर खड़ा है। चूंकि मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, इसलिए यहां से आसपास के क्षेत्रों का व्यापक दृश्य देखे जा सकते हैं। इसके एक बड़े आंगन में बाईं ओर एक पवित्र पीपल का पेड़ है और दाईं ओर भगवान गणेश और हनुमान की मूर्तियां हैं। मंदिर का प्रवेश द्वार बहुत अद्भुत है और वहां शेर की दो प्रतिमाएं लगी हैं। मंदिर में नंद  अष्टमी के उत्सव के दौरान विशेष रूप से भीड़ रहती है। 

नैना देवी मंदिर

नैना देवी मंदिर

स्नो व्यू पॉइंट नैनीताल शहर का व्यापक और मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता है। 2,270 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, इस जगह से दूर-दूर तक देखा जा सकता है भव्य हिमाच्छादित हिमालय को भी देखा जा सकता है। यहां से नैनीताल के सबसे अच्छे ढंग से देखा जा सकता है यात्री नंदा देवी, नंदा कोट और त्रिशूल चोटियों को भी यहां से देख सकते हैं। यात्री मंत्रमुग्ध करने वाले दृश्यों को बारीकी से देख सकें, इसके लिए यहां दूरबीन की जोड़ी लगाई गई है, जो सड़कों से अच्छी तरह से जुड़ी हुई है। पर्यटक केबल कार या रोपवे के माध्यम से भी वहां पहुंच सकते हैं, और सुरम्य दृश्यों को देखते हुए उनको सराह सकते हैं। एक अन्य आकर्षण एक छोटा मंदिर है जिसमें भगवान राम, देवी सीता और हनुमान की मूर्तियां हैं।

नैना देवी मंदिर

डोरोथी सीट

2,292 मीटर की अनुमानित ऊंचाई पर नैनीताल के बाहरी इलाके में स्थित, डोरोथी सीट आसपास की पहाड़ियों के साथ-साथ पूरे क्षेत्र का सहज लुभावनी दृश्य प्रस्तुत करता है। इसे टिफिन टॉप के नाम से भी जाना जाता है और यह एक लोकप्रिय पिकनिक और फोटोग्राफी स्थल है। बलूत, देवदार और चीड़ के पेड़ों से घिरा हुआ एक सुंदर स्थल है, जहां से भव्य नैना देवी की चोटी देखा जा सकता है।ऐसा कहा जाता है कि टिफ़िन टॉप को इसका यह नाम मिला क्योंकि स्थानीय लोग दोपहर के भोजन के लिए पहाड़ी की चोटी पर ट्रैक किया करते थे। एक अन्य स्थानीय आकर्षण एक अंग्रेजी कलाकार डोरोथी केलेट को समर्पित एक स्मारक है, जिनके नाम पर इस स्थान का नाम रखा गया है। किंवदंती है कि एक सेना अधिकारी कर्नल जेपी केलेट की पत्नी डोरोथी केलेट जब यात्रा कर रही थीं, तब डूब गईं और 1936 में लाल सागर में उन्हें दफना दिया गया। 

डोरोथी सीट

मुक्तेश्वर

नैनीताल के बाहरी इलाके में स्थित, मुक्तेश्वर एक शानदार पहाड़ी शहर है, जहां हरे-भरे शंकुधारी जंगलों और मीठी सुगंध वाले फलों के बाग हैं। औपनिवेशिक आकर्षण से सराबोर, मुक्तेशवर, ब्रिटिश शैली के बंगलों से सुसज्जित है, जिसमें लाल छतें, पहरे देने वालों की चोकियां  और प्राचीन लकड़ी के खिड़की के फ्रेम हैं। पूरा इलाका खामोशी से सराबोर है जहां आपकी थोड़ी सी आवाज भी गूंजने लगती है और एक बेहतरीन प्राकृतिक आश्र्यस्थली है। चूंकि यह समुद्र तल से 7,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है, आप यहां से भारत की सबसे ऊंची चोटियों में से एक नंदा देवी और हिमालय के शानदार नज़ारे देख सकते हैं।मुक्तेश्वर का नाम भगवान शिव के नाम पर रखा गया है, जिन्हें यहां मोक्ष प्रदान करने वाले के रूप में पूजा जाता है। मुक्तेश्वर मंदिर, जो भगवान शिव को को समर्पित है, यहां का मुख्य आकर्षण है। इसके अलावा, पर्यटक भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान परिसर का  भी एक चक्कर लगा सकते हैं, जिसे 1893 में स्थापित किया गया था। एक अन्य उल्लेखनीय स्थल ऊर्जा और संसाधन संस्थान द्वारा विकसित नवीकरणीय (रिन्यूएबल) पार्क है, जो अपनी बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग करता है।

मुक्तेश्वर