लोकप्रिय रूप से खोए हुए मंदिरों का शहर कहे जाने वाले तालकाड़ु में कभी 30 से अधिक भव्य मंदिर पाये जाते थे। कहा जाता है कि ये सभी 16वीं शताब्दी में रेत के नीचे दब गए थे। आज, रेगिस्तान जैसा यह शहर, कावेरी नदी के तट पर स्थित है, और एक रहस्यमय व पेचीदा स्थान है जहाँ डूबे हुए मंदिरों में हर 12 साल में 'पंचलिंग दर्शन' नामक विशेष पूजा की जाती है! सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में भगवान शिव को समर्पित पांच मंदिर वैद्यनाथेश्वर, पत्थलेश्वर, मार्लेश्वर, अरणेश्वर और मल्लिकार्जुन हैं। भगवान विष्णु को समर्पित कीर्ति नाथेश्वर मंदिर भी काफी लोकप्रिय है। मंदिर स्वयं में चट्टानों को काटकर बनाई गयी वास्तुकला का उदाहरण हैं, जबकि शहर बागवानी और शराब बनाने का केंद्र है। बढ़िया शराब, बिना कीटनाशक वाली ताजा उपज, और कारीगरी इस शहर को और अधिक आकर्षक बनाते हैं। तालकाड़ु पर पहले, 350 से 1050 ई. तक पश्चिमी गंगों का शासन था, जिनकी जगह 11वीं शताब्दी में चोलों ने ले ली।

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