लाक्षाकर्म के सामान और लकड़ी के खिलौनों के लिए जाने जाने वाले चन्नपटना को प्रसिद्ध रूप से 'गोम्बेगला ओरु' कहा जाता है, जिसका अर्थ है खिलौनों का शहर। खिलौने ऐल मारा या हाथी दांत की लकड़ी से बने तथा वनस्पति रंगों से रंगे होते हैं, जो पर्यावरण के अनुकूल हैं तथा शहर की सड़कों पर बिकते हैं। देश का पहला शिल्प पार्क भी यहीं स्थित है, जिसमें लगभग 3,000 कारीगर हैं जो लाह के सामान के उत्पादन में लगे हुए हैं। ऐतिहासिक रूप से, चन्नपटना की विरासत योद्धा राजा टीपू सुल्तान से लेकर खिलौना बनाने तक फैली हुई है, जिसने फ़ारसी शिल्पकारों को भारत आने तथा स्थानीय लोगों को यह कौशल सिखाने हेतु प्रोत्साहित किया। हालांकि, यह बावस मियाँ थे, जिन्होंने कारीगरों को नई तकनीकों से परिचित कराने हेतु अपना जीवन समर्पित कर दिया और उन्हें उत्पादन प्रक्रिया का अनुकूलन करने में सक्षम बनाया। गुड़ियों, घोड़ों से लेकर गणितीय पहेलियों तक, यहाँ से कई प्रकार के खिलौने खरीदे जा सकते हैं।

अन्य आकर्षण