यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल के रूप में वर्गीकृतए शोर टेम्पल मामल्लपुरम के आसपास का सबसे पुराना और अकेला बचा हुआ मंदिर है। 7वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में निर्मितए यह द्रविड़ियन और पल्लव वास्तुकला का एक आदर्श नमूना हैए जिसे राजा नरसिंह वर्मन द्वितीय ने ;सन् 695.722द्धए ग्रेनाइट पत्थर से बनवाया था। उस काल में यह मंदिर एक अत्यंत व्यस्त बंदरगाह भी हुआ करता था। मंदिर के भीतर तीन गर्भगृह हैंए जिनमें से दो भगवान शिव और एक भगवान विष्णु का है। शोर टेम्पल उन सात मंदिर परिसरों में से एक हैए जो बंगाल की खाड़ी के तट पर आज भी खड़ा हैए शेष छः मंदिर परिसर समुद्र में समा गए हैं। वर्ष 2004 में आई सुनामी के दौरान डूबे हुए मंदिरों के कुछ अवशेष दिखाई दिये थे। भले ही मंदिर में अनेक प्रकार की नक्काशी समय के साथ नष्ट हो गई या बरबाद हो गई होंए फिर भी उत्कृष्ट नक्काशी की गुणवत्ता अभी भी देखी जा सकती है। बागानों और खंडहरों से घिरा हुआए दो मंजिला शोर टेम्पल चट्टान में की गई नक्काशी के साथ बेहद ही भव्य दिखाई देता है। आसपास के अन्य छोटे मंदिर इस विशाल इमारत की सुंदरता बढ़ा देते हैं।

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