नैमिषारण्य

गोमती नदी के तट पर स्थितए नैमिषारण्य का पवित्र स्थान भगवान ब्रह्माए भगवान विष्णुए देवी सती और भगवान शिव से जुड़ा हुआ है। श्नेमिश् शब्द का अर्थ सुदर्शन चक्र ;भगवान विष्णु के हथियारद्ध की बाहरी सतह है। कहा जाता है कि जिस स्थान पर यह गिरा थाए उसे ही नैमिषारण्य कहा जाने लगाए जिसके चारों तरफ़ जंगल थे। जिस स्थान पर चक्र पृथ्वी से टकरायाए वहां पानी का झरना निकल आया। नैमिषारण्य के प्रमुख आकर्षण में चक्रतीर्थ हैए जो उस स्थान को चिह्नित करता है जहां ब्रह्मा का चक्र गिरा था। दशाश्वमेध घाटए जहां भगवान राम ने दसवां अश्वमेध यज्ञ किया था। हनुमान गढ़ीए पाताल लोक में अहिरावण पर जीत हासिल करने के बाद भगवान हनुमान का प्रकट स्थल है। ललिता देवी मंदिरए नैमिषारण्य के मुख्य देवता का मंदिर है। आध्यात्मिक शिक्षा का केंद्र नारदानंद सरस्वती आश्रम है। पंडाल किलाए महाभारत के राजा विराट का किला है। सीता कुंडए जहां देवी सीता को वनवास जाने से पहले स्नान करने के लिए कहा गया था। इसके अतिरिक्त कई अन्य महत्वपूर्ण स्थल यहां पर हैं। हिंदुओं के सभी तीर्थस्थलों में से इसे सबसे पुराना और सबसे पवित्र स्थल माना जाता है। भक्त इस स्थान पर पवित्र जल में डुबकी लगाने जाते हैं। कहा जाता है कि कवि तुलसीदास ने रामचरित मानस यहीं पर लिखकर लिखा था। नैमिषारण्य से जुड़ी एक अन्य मान्यता यह है कि यदि आप 12 वर्षों तक यहां तपस्या करते हैंए तो आपको सीधे ब्रह्मलोक ;स्वर्गद्ध मिलेगा। फाल्गुन अमावस्या और फाल्गुन पूर्णिमा के बीच नैमिषारण्य मेंए सैकड़ों भक्त परिक्रमा करने आते हैं। कम धार्मिक रुचि वाले लोगों के लिए भीए नैमिषारण्य घूमने लायक स्थल है। इसका इतिहास सदियों पुराना है। यहां आप प्राचीन किंवदंतियों के बारे में भी जान सकते हैं और देश की कुछ आश्चर्यजनक संरचनाओं की तस्वीरें भी ले सकते हैं। नैमिषारण्य लखनऊ से लगभग 95 किमी दूर है।

नैमिषारण्य

दुधवा नेशनल पार्क

दुधवा टाइगर रिज़र्व भारत में सबसे संरक्षित अभ्यारण्यों में से एक है। इसमें दो अलग.अलग क्षेत्र हैं.भाबरए पहाड़ियों और चट्टानी इलाकों से घिरा हैए और तराई क्षेत्रए मोटे घास के मैदानों और दलदली मिट्टी वाला है। यहां अब स्तनधारियों और पक्षियों की विभिन्न प्रजातियों का बसेरा है। इसे अब विश्व स्तर के महत्वपूर्ण पर्यावरणीय क्षेत्रों में शुमार किया जाता है। यह विशाल पारिस्थितिकी तंत्र पश्चिम में यमुना नदी से पूर्व में वाल्मीकि टाइगर रिजर्व ;बिहारद्ध तक फैला हुआ है। इस पार्क का विस्तार शिवालिक श्रेणी की पहाड़ियों और गंगा के मैदानों के साथ पांच राज्यों में है। वर्तमान मेंए बंगाल फ्लोरिकन और हिसपिड जैसी कुछ लुप्तप्राय प्रजातियाें को दुधवा में संरक्षित किया गया है। बाघ के अलावाए स्तनधारियों की 13 प्रजातियांए पक्षियों की नौ प्रजातियांए सरीसृप की 11 प्रजातियां और कुछ लुप्तप्राय उभयचर यहां पाए जाते हैं। अन्य जानवर जो आपको दुधवा में दिखेंगेए उनमें रंगीन सारसए काले और सफेद गर्दन वाले सारसए क्रेनए बगुलाए उल्लूए बत्तखए हंसए सींगए गिलहरीए कठफोड़वाए बारबेटए किंगफिशरए मिनीवेटए मधुमक्खी आदि हैं। सरीसृपों में अजगरए छिपकली और घड़ियाल जैसे सरीसृप भी यहां काफी संख्या में पाए जाते हैं। यदि आप जंगल में सफारी करते हैंए तो इस पार्क में स्थित बांके ताल जरूर जाएं। यह एक विशाल झील हैए यहां आपको वनस्पतियों और जीवों की पर्याप्त विविधताएं देखने को मिल जाऐंगी। यहां कुछ समय ज़रूर बिताने की कोशिश कीजिए। विस्तृत वन भूमिए घने वृक्षए और जीव जन्तुओं की विशाल आबादी वालाए दुधवा पानी और जलवायु संतुलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह लखनऊ शहर से 221 किमी की दूरी पर स्थित है।

दुधवा नेशनल पार्क

नवाबगंज पक्षी अभ्यारण्य

नवाबगंज पक्षी अभ्यारण्य में पक्षियों की सैकड़ों प्रजातियां पायी जाती हैं। विशेष रूप से साइबेरियन क्रेन प्रवासी पक्षियों की कई प्रजातियां यहां निवास करती हैं। इस अभ्यारण्य में निवास करने वाली अन्य प्रजातियों में शवलरए पेंटेड स्टॉर्कए कठफोड़वाए आम चैतीए मोरए सफेद इबिसए ओपन.बिल स्टॉर्कए गिद्धए टर्न वल्चरए इंडियन रोलरए लैपविंगए तीतरए पैराकीटए कूटए पर्पल मूरहेनए जेकना और व्हिस्लिंग टील शामिल हैं।इस अभ्यारण्य में एक विशाल झील भी हैए जहां मछलियों की कई प्रजातियां जैसे कवाईए शाऊलए सिंधीए कतला और मंगूर पाई जाती हैं। यह झील हरियाली और खूबसूरत डियर पार्क से घिरी हुई है। इस पार्क में दुर्लभ प्रकार के हिरणों का बसेरा हैए जिसे वहां हंगुल कहा जाता है। भारतीय कोबराए रैट स्नैकए पानी वाले सांप और वाइपर जैसे सरीसृप भी नवाबगंज में पाए जाते हैं।यहां ऐसे वॉचटावर भी हैं जहां से आप नवाबगंज के पक्षियों को बिना उनके प्राकृतिक वातावरण को बाधित किए देख सकते हैं। पार्क के चारों ओर बहुत अधिक सावधानी से इन वॉचटावरों को बनाया गया है। इस छोटे से खूबसूरत पक्षी अभ्यारण्य में पत्तेदार छायादार वृक्षों के बीच जब सैकड़ों पक्षी एक साथ चहचहाते हैं तो ऐसा लगता है कि जैसे वे अपने घर में आपका स्वागत कर रहे हैं।

नवाबगंज पक्षी अभ्यारण्य