यह इलाका हेमिस मठ के नाम से मशहूर है। इसलिए इस क्षेत्र में बना विशाल वन्यजीव अभयारण्य  हेमिस वन्यजीव अभयारण्य कहलाता है। सिंधु नदी के पश्चिमी तट पर मरखाए रूंबक और सुमदाह नालों के बीच फैले 600 किमी के क्षेत्र में यह अभयारण्य कुदरती छटा बिखेर रहा है।  इस अभयारण्य की विशेषता यहां ऊबड़“.खाबड़ घाटियांए चट्टानें और शिलाखंड हैंए जो कुदरती नजारा पेश करते हैं। इसके अलावा इस अभयारयण्य के घास के मैदान और झाड़ियां और पेड़ों के कई जंगल खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।  अभयारण्य की पहचान हिम तेंदुए रिजर्व के रूप में होती है। यह अभयारण्य दुर्लभ जानवरों के लिए मशहूर है।  दुर्लभ जीव शापूए भारलए भेड़िय़ाए पोलास की बिल्लीए इबेक्सए तिब्बती अगार्ली जंगली भेड़ और लद्दाख की लंबे पैरों और नुकीले सींगों वाली भेड़ यूरियाल भी इस अभयारण्य में पाये जाते हैं। चूंकि यहां बड़ी तादाद में भारल और यूरियाल पाए जाते हैंए इसलिए उन्हें देखना आसान है।  एविफुना पक्षियों की 30 से अधिक प्रजातियाँ यहाँ देखी जा सकतीं हैंए जिनमें से सबसे हिमालयन स्नो कॉक और चुकार तीतर हैं। चुकार तीतर के पैर लाल होते हैंए वह आम मुर्गी जैसा ही दिखाई देता है।

अन्य आकर्षण