कानपुर में स्थित संकिसा एक ऐसा आध्यात्मिक स्थल है, जिसके बारे में बहुत सी पौराणिक मान्यताएं प्रचलित हैं। कहा जाता है कि यह वही स्थान है, जहां से भगवान बुद्ध, अपनी मां को उपदेश देने के बाद ब्रह्मदेव और इंद्रदेव के साथ एक सोने की सीढ़ी पर चढ़कर स्वर्ग चले गये थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्नेन सांग ने भारत को लेकर अपने यात्रा संस्मरण में संकिसा का जिक्र करते हुए इसे कपिथा नाम से संबोधित किया है तथा एक स्थानीय राजकुमार द्वारा इस स्थान पर एक सीढ़ी के बनवाए जाने का उल्लेख किया है। ऐसा भी माना जाता है कि भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण के बाद सम्राट अशोक ने संकिसा को विकसित किया और यहां प्रसिद्ध अशोक स्तंभ स्थापित किया। इस स्तंभ पर एक हाथी की आकृति बनी हुई है, जिसके बारे में कहा जाता है कि वह उस सफेद हाथी का द्योतक है, जिसे भगवान बुद्ध की मां मायादेवी ने उनके जन्म से पहले अपने सपने में देखा था। 

लोगों का यह भी मानना है कि रामायण काल के दौरान यह जगह संस्कया नगर के नाम से प्रचलित थी, जिस पर राजा कुशध्वज राज करते थे, जो देवी सीता के पिता राजा जनक के छोटे भाई थे। यहीं पर उर्वरता की देवी बिसारी देवी का भी मंदिर है, जहां श्रद्धालु माथा टेकने आते हैं। इसके अलावा यहां एक बहुत भारी शिवलिंग भी स्थापित है, जहां हर साल जुलाई से अगस्त माह के बीच एक बहुत बड़ा मेला लगता है, जिसमें बहुत दूर-दूर से लोग आते हैं। 

अन्य आकर्षण