'पीर' शब्द धर्म के प्रति समर्पित किसी व्यक्ति को कहा जाता है। लिखित अभिलेखों के अनुसार मुगल रोड पर स्थित पोशना और हीरपुर गाँव के बीच स्थित इस स्थान का नाम शेख अहमद करीम नामक सन्त ने रखा। स्थानीय लोग अब भी उनकी पूजा करते हैं और उन्हें अब भी जीवित सन्त मानते हैं। यह दरगाह पीर की कब्र नहीं है बल्कि यह वह स्थान है जहाँ उन्होंने ध्यान लगाया था। कहा जाता है कि अन्दर एक पत्थर पर उनके हाथ के चिन्ह हैं। इसके अतिरिक्त यह स्थान चारों ओर से बर्फ से ढकी चोटियों से घिरा है जिसके कारण यह पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है। स्थानीय लोगों का विश्वास है कि पीर बाबा उन लोगों की मदद के लिए अब भी आते हैं जो उन्हें पुकारता है। यदि आप यहाँ भ्रमण करने का इरादा रखते हैं तो आप यहाँ से थोड़ी दूर श्रीनगर भी जा सकते हैं।

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