दिल्ली हाट

दिल्ली हाट सांस्कृतिक अतिरंजना, शिल्प और व्यंजनों का सम्मिश्रण है। यह शहर के बीच एक अनूठा बाज़ार है, जो भारतीय संस्कृति की समृद्धि को प्रदर्शित करता है। आप इस बाजार से कई पारंपरिक और इथनिक वस्तुएं खरीद सकते हैं। इतना ही नहीं, हाट में खाने के लिए अनेक स्वादिष्ट व्यंजन भी किफायती कीमतों पर मिलते हैं। आप भारत के भिन्न भिन्न राज्यों द्वारा स्थापित विभिन्न भोजन की दुकानों पर जा सकते हैं, जहां वे अपने क्षेत्र के खास व्यंजनों को पेश करते हैं। हाट का दौरा करना एक अनूठा अनुभव है क्योंकि यह आपको भारत के प्रत्येक राज्य की सांस्कृतिक विरासत की झलक प्रदान करता है। बाजार में आगंतुकों के लिए स्मारिका की दुकानें भी हैं। आप जिन वस्तुओं को खरीद सकते हैं, उनमें पीतल के बर्तन, धातु शिल्प, रत्न, मोती, रेशमी और ऊनी कपड़े, अलंकृत जूते-चप्पले, चंदन और शीशम की बनी सजावट के सामान आदि शामिल हैं।

दिल्ली हाट

पंच इन्द्रियों का बाग (गार्डन ऑफ फाइव सेंसिज़)

बाग' सबसे लोकप्रिय है। मुगल गार्डन की तर्ज पर बना यह हरा-भरा बाग खूबसूरत फूलों से सराबोर है और इसमें पानी के नहरें भी हैं, जो पर्यावरण को शीतलता प्रदान करते हैं। यहां फव्वारे की एक श्रृंखला भी है, जिन्हें शाम के समय जब चलाया जाता है तो यह बेहद ही शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। यहां का एक अन्य आकर्षण नील बाग है, जिसमें अनेक वाटर लिली और सैकड़ों सिरेमिक चाइम्स हैं। इसके अलावा, इस उद्यान में कई फूलों की झाड़ियां और 200 से अधिक किस्मों के पौधे हैं। इस बगीचे में टहलने से आपको एक अद्भुत फूर्ति का एहसास होता है। पार्क में कई भित्ति चित्र और मूर्तियां प्रतिस्थापित की गई हैं, जो इसे भारत में सार्वजनिक कला के सबसे बड़े संग्रहों में से एक बनाता है। इस बगीचे में एक भोजन और खरीदारी की जगह भी है, जहां पर्यटक परिवार और दोस्तों के साथ प्राचीन परिवेश का आनंद ले सकते हैं। एक अन्य आकर्षण यहां का एम्फीथियेटर है, जिसमें बलुआ पत्थर से बनी सीटें हैं। उद्यान के पीछे एक प्रदर्शनी क्षेत्र है, जहां कला प्रदर्शनियों और कार्यशालाओं का आयोजन किया जाता है, जो पर्यटकों के बीच बेहद लोकप्रिय है।

पंच इन्द्रियों का बाग (गार्डन ऑफ फाइव सेंसिज़)

हज़रत निज़ामुद्दीन दरगाह

हज़रत निज़ामुद्दीन दरगाह दिल्ली के सबसे प्रमुख आध्यात्मिक स्थलों में से एक है। यह मुस्लिम सूफ़ी संत, निज़ाम-उद-दीन औलिया (1238-1325 ईस्वी) की दरगाह है। इसकी संरचना बेहद ही लाजवाब है, जिसमें जटिल जालियों और संगमरमर के मेहराबों से बना एक विशाल प्रांगण है। 14 वीं शताब्दी में बना यह दरगाह इस्लामी शैली की वास्तुकला में बनाया गया है। यह एक चौकोर आकार की इमारत है, जिसमें गुंबद आकार की एक छत है। यहां का एक और विशेष आकर्षण 13 वीं शताब्दी में बना एक कमरा है, जिसे हुजरा-ए-क़दीम कहा जाता है और यह दरगाह के दर्शन को और दिलचस्प बना देता है। इस दरगाह में लोग काफी दूर-दूर से आते हैं, और उन्हें इसकी जालियों पर लाल धागा बांधते हुए आप देखेंगे ताकि उनकी दुआ कबूल हो। दुआ करते समय, वे अगरबत्तियां जलाते हैं और गुलाब की पंखुड़ियों की बौछार करते हैं। दरगाह पर चादर चढ़ाना विशेष रूप से शुभ माना जाता है। दरगाह पर जाने का सबसे अच्छा समय गुरुवार का होता है जब यहां शाम को कव्वाली होती है। यह दरगाह इतना लोकप्रियता है कि यह अनेक फिल्मों की, जैसे 'बजरंगी भाईजान' (सन् 2015) और 'रॉकस्टार' (सन् 2011) की पृष्ठभूमि में रही है। यहां का वातावरण बेहद आकर्षक और रूहानी रहता है। दरगाह के परिसर में अमीर खुसरो की कब्र है जो वे उर्दू और फारसी के बड़े सूफी कवियों में से एक हैं। इसके अलावा, यहां शाहजहाँ की बेटी जहाँआरा बेगम की कब्र, रईस अतगाह खान की कब्र, जिनके बारे में कहा जाता है कि उनकी पत्नी ने मुगल सम्राट अकबर को दूध पिलाने वाली नर्स थी, और 18 वीं सदी के एक शासक, मुहम्मद शाह रंगीला की कब्र भी है।

हज़रत निज़ामुद्दीन दरगाह

राष्ट्रीय जीव उद्यान

नेशनल जूलॉजिकल पार्क यानी दिल्ली का चिड़ियाघर, पुराने किले के पास स्थित है। 176 एकड़ के क्षेत्र में फैला, यह पार्क वनस्पतियों और पक्षियों की एक विस्तृत श्रृंखला पेश करता है, और यहां 1,000 से अधिक विभिन्न प्रकार वन्य पशु निवास करते हैं। आप यहां पानी में आराम फरमाते हुए विशाल दरियाई घोड़ों को देख सकते हैं। यहां आप चिंपैंजियों को एक दूसरे को छेड़ते हुए, मौज मस्ती करते हुए और बंदरों की बेतरतीब हरकतों को भी देख सकते हैं। इसके अलावा आप एशियाई शेरों की दहाड़ भी सुन सकते हैं, जो बाड़े में अपने अधिकार को दर्शाते हैं। दिल्ली के चिड़ियाघर में कई मजेदार अनुभव आपका इंतजार कर रहे हैं। इसके अलावा आप यहां शाही बंगाल टाइगर, दलदली हिरण, भारतीय गैंडे, ब्रो एन्टर्ल्ड हिरण आदि को भी देख सकते हैं। यहां पक्षी प्रेमियों के लिए, प्रवासी पक्षियों जैसे स्टॉर्क और मोरों की तो भरमार है। रोमांचक अनुभव के लिए, पर्यटक रेप्टाइल हाउस भी जा सकते हैं, जहां छिपकलियों और सांपों की विभिन्न प्रजातियां मौजूद हैं। चिड़ियाघर का उद्घाटन सन् 1959 में किया गया था। इसमें रॉयल बंगाल टाइगर, एशियाई शेर, दलदली हिरण, भारतीय गैंडे आदि प्रजातियों के संरक्षित प्रजनन कार्यक्रम भी हैं। चिड़ियाघर में घूमने के लिए आप बैटरी-कार भी किराए पर ले सकते हैं, जो आपको पूरे चिड़ियाघर का दौरा कराती है। चिड़ियाघर में एक पुस्तकालय भी है, जिसमें वन्यजीवों पर लिखी गई पुस्तकों का संग्रह है और ये किताबें चिड़ियाघर के इतिहास के बारे में भी जानकारियां प्रदान करती हैं। पर्यटकों को परिसर में पीने के पानी के अलावा किसी भी प्रकार के भोजन लाने की अनुमति नहीं है।

राष्ट्रीय जीव उद्यान

चांदनी चौक

पुरानी दिल्ली की प्राचीनता को संजोये चांदनी चौक एक भीड़-भाड़ वाला क्षेत्र है जो राष्ट्रीय राजधानी के सबसे पुराने क्षेत्रों में से एक है। चांदनी चौक अपने व्यस्त बाजारों के कारण जाना जाता है और यहां की संकरी और अंतहीन गलियां किसी भूलभुलैया से कम नहीं हैं। ये संकरी गलियां छोटी-छोटी दुकानों से सजी रहती हैं जिनमें नमकीन, मिठाई और सेवई के स्वादिष्ट पकवानों की कई दुकानें हैं। यहां पर ऐसी दुकानें भी हैं, जहां आपको कपड़े सहित कई उत्पाद मिल जाएंगे और वह भी बजट के दामों पर। जोर शोर से चलने वाली इस मध्ययुगीन बाज़ार में आपको लगभग सभी तरह के इत्र, आभूषण, इलेक्ट्रॉनिक्स, मोमबत्तियां, जीवन शैली के सामान और देवी-देवताओं की मूर्तियां बड़ी आसानी से मिल जाएंगे। इसके अलावा, यह दिल्ली के सबसे बड़े थोक बाजारों में से एक है, जिसमें यात्रियों को कई वस्तुओं पर भारी छूट भी मिल सकती है। चांदनी चौक यहां मिलने वाले व्यंजनों के लिए बेहद लोकप्रिय है। जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, अटल बिहारी वाजपेयी, और अन्य ऐसे लोगों जैसी बड़ी-बड़ी हस्तियां भी यहां भोजन करना पसंद करते थे। जैसे ही आप बाजार में पकवानों की दुकानों को खंगालना शुरू करेंगे, आपको मेट्रो स्टेशन के पास ही काफी पुरानी और प्रसिद्ध एक जलेबी वाले की दुकान मिलेगी। स्वादिष्ट, नरम और चाशनी के रस से लबालब इन गरम गरम जलेबियां का स्वाद ऐसा है, जो आपको दिल्ली की सर्दियों में भी गर्मा दें। खाने के शौकीन लोग, भोजन के असीम और अविस्मरणीय अनुभव के लिए परांठे वाली गली भी जा सकते हैं। परांठे वाली गली के नाम से मशहूर इस पतली सी गली में ताजे और गर्म परांठे बनाने वालों कई दुकानें हैं जहां पर्यटकों को अवश्य जाना चाहिए। इसके बाद आती है स्वादिष्ट आलू-कचौरी और दही भल्ले की बात। यदि आप गर्मियों में जा रहे हैं, तो मसालेदार नींबू पानी का एक बड़ा गिलास लेना न भूलें। वहीं चांदनी चौक में मिलने वाली रबड़ी फालूदा यहां की खासियत है। यहां की कई दुकानें 100 साल से भी अधिक पुरानी हैं और आज भी मध्ययुगीन दिल्ली के स्वाद को बरकरार रखे हुए हैं, जो इस जगह को लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय बनाती है। चांदनी चौक का निर्माण मुगल सम्राट शाहजहाँ ने 17 वीं शताब्दी में करवाया था। लाल किले के ठीक सामने फैले इस बाजार से, फतेहपुरी मस्जिद का बेहद ही खूबसूरत नज़ारा देखने को मिलता है। 'चांदनी चौक' का अर्थ होता है, चांद की रोशनी से रौशन जगह, और इस बाज़ार को शाहजहाँ के शासनकाल के दौरान से ही चांदनी चौक के नाम से पुकारा जाता है। इस क्षेत्र में पेड़ों की कतार वाली एक नहर थी, जिसमें रात के वक्त चांद साफ दिखाई पड़ता था।

चांदनी चौक