एक सुंदर स्थान पर स्थित श्रृंगवेरपुर का अनोखा गांव, प्रयागराज शहर से लगभग 40 किमी दूर स्थित है। इसका उल्लेख हिंदू महाकाव्य रामायण में निषादराज के शाही राज्य की राजधानी या 'मछुआरों के राजा' के रूप में मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार, इस गांव का नाम श्रृंगी ऋषि के नाम पर पड़ा था। कहा जाता है कि यह वही स्थान है, जहां से भगवान राम, देवी सीता और भगवान लक्ष्मण ने रात्रि विश्राम के बाद, वनवास जाने के लिए गंगा नदी को पार किया था। स्थानीय मान्यता के अनुसार नाव वालों ने भगवान राम, लक्ष्मण और सीता को नदी पार कराने से मना कर दिया था। स्थिति को हल करने के लिए निषादराज खुद मौके पर पहुंचे और नदी पार कराने की एवज में भगवान राम के सामने एक शर्त रखी। निषादराज ने कहा कि यदि वह उनसे अपने अपने पैर धुलवा लेते हैं तो वह उन्हें नदी पार करवा देगा। भगवान राम ने यह शर्त स्वीकार कर ली। निषादराज ने उनके पैर धोए और उन्हें अपनी नाव में बैठाकर नदी पार करवा दिया। जिस स्थान पर राजा ने ऐसा करने के लिए कहा था, उसका नाम रामचूरा रखा गया और वहां एक चबूतरे का निर्माण किया गया। यह एक बेहद ही शांत स्थान है। चारों ओर हरियाली और एक विशाल नदी वाला 'श्रृंगवेरपुर' धीरे-धीरे पर्यटकों के बीच लोकप्रिय हो रहा है।

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