
क्षमा करें, हमें आपकी खोज से मेल खाने वाली कोई भी चीज़ नहीं मिली।
आगरा एक खाद्य पदार्थ का आनंद है और इसकी मुगल विरासत ने अपनी पाक संस्कृति पर एक गहरी छाप छोड़ी है।
यह तेल में तली हुई पूरी होती है जो आलू की मसालेदार तरी वाली सब्ज़ी के साथ खाने को मिलती है। इसके साथ दही भी मिलता है। इसे नाश्ते में खाते हैं, इसके साथ जलेबी भी परोसी जाती है।
हर जगह जो आलू टिक्की कहलाती है, आगरा में उसे भल्ला कहते हैं। यह तरी वाले काबुली चने, मसालों व हरे धनिये की चटनी के साथ खाने को मिलता है।
आगरा कभी मुग़ल शासकों की राजधानी हुआ करता था, अतः इस शहर में हर जगह मुग़लई व्यंजन खाने को मिलेंगे। कबाब, नान एवं टिक्का सस्ते ढाबों के साथ-साथ महंगे रेस्तरां में भी खाने को मिलते हैं।
यह मसूर की दाल को तलकर बनाया गया स्वादिष्ट नाश्ता होता है। इसमें तीखा ‘सेव’ मिलाया जाता है, जो बेसन की तली हुई छोटे-छोटे टुकड़ों से बनी होती हैं। चाय के साथ खाने का यह बेहतरीन विकल्प है।
यह मीठा व्यंजन सफेद लौकी या कद्दू से बनता है। इसे सब्ज़ियों के टुकड़ों, पानी एवं चीनी के मिश्रिण से बनाया जाता है। पेठा विभिन्न किस्मों में भी मिलने लगा है। इनमें केसर व बादाम भी मिलाया जाने लगा है।
मैदे के गोल-गोल आकार के टुकड़ों को तेल में तलकर, बाद में उन्हें चाशनी में डालकर जलेबी बनाई जाती हैं। मिठास से भरी ये जलेबियां दिन में किसी भी समय खाई जा सकती हैं। आमतौर पर इन्हें रबड़ी के साथ खाते हैं। रबड़ी दूध से बनाई गई गाढ़ी व मीठी मलाई ही होती है। पारंपरिक नाश्ते में जलेबी बेड़मी पूरी के साथ भी खाते हैं।
चाट एक मसालेदार, मीठा व्यंजन है जो कई प्रकार की होती हैं। यह राज कचौरी, दही भल्ला आदि रूप में मिलती है। शाम को खाने के लिए कोई भी सदर बाज़ार की प्रसिद्ध चाट वाली गली का रुख कर सकता है। आगरा में भल्ला आलू की तली हुई टिक्की होती है। इसे मसलकर इस पर कद्दूकस की हुई मूली, अदरक एवं इमली की मीठी चटनी डालकर खाते हैं।