भारत के 'एप्पल बाउल' के रूप में प्रसिद्ध, कोटगढ़, पुराने हिंदुस्तान-तिब्बत मार्ग पर स्थित एक विचित्र और मनोरम शहर है। यह शहर सेब के बागानों के लिए प्रसिद्ध है। यहां पर्यटक इन सुंदर सेब के बागानों और देवदार के जंगलों की सैर कर सकते हैं। कोटगढ़ के मुख्य आकर्षणों में से एक, यहां का भव्य सेंट मैरी चर्च है, जो ब्रिटिश शासन की याद दिलाता है। वर्ष 1872 में निर्मित लकड़ी का यह चर्च 'स्टैन्ड ग्लास विंडोज़' के लिए प्रसिद्ध है। यहां देवदार के पेड़ों से बनी कई बैंच मौजूद हैं। यहां पर्यटक मैलान देवता मंदिर भी जा सकते हैं, जो पर्यटकों को अपनी शाही शिखारा शैली की वास्तुकला से आकर्षित करता है। कोटगढ़ से 5 किमी की दूरी पर स्थित
शांत 'तनी जुब्बर झील' है, जहां जून के महीने में वार्षिक कला और शिल्प मेला आयोजित किया जाता है। किंवदंती है कि वर्ष 1916 में अमरीका के फिलाडेल्फिया के एक सामाजिक कार्यकर्ता सैमुअल स्टोक्स मिशनरी कार्यकर्ता के रूप में कोटगढ़ आए थे। वह उस इलाके की खूबसूरती से इतने मंत्रमुग्ध थे कि वे यहीं बस गए। उन्होंने यहां सेब के बागान लगाए जो लुइसियाना के चुनिंदा बागों से आयात किए जाते थे और उन्होंने सभी किसानों को अपनी सामान्य फसल के स्थान पर सेब के बागान लगाने के लिए प्रेरित किया। कुछ ही वर्षों में कोठगढ़ हिमाचल प्रदेश के सबसे धनी क्षेत्रों में से एक हो गया। इस क्षेत्र के सेब अंतरराष्ट्र्रीय स्तर के हैं और पूरे राज्य का सकल घरेलू आय का बड़ा हिस्सा यहीं से आता है। इस क्षेत्र के सबसे महत्वपूर्ण विशेषताओं में से एक यह है कि इस प्रांत ने स्वतंत्रता पूर्व के समय से ही अपना आकर्षण बनाए रखा है।

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