गिर राष्ट्रीय उद्यान अफ्रीका के जंगलों के अलावा दुनिया की दूसरी ऐसी जगह है जहां अबाध भ्रमण करते बब्बर शेरों को देखा जा सकता है। इस पार्क का पूरा जंगल शुष्क और पतझड़ी है; जो एशियाई शेरों के लिए उपयुक्त है। शेर और तेंदुए इस पार्क के मुख्य आकर्षण हैं। इसके अलावा यहां आप सांभर हिरण, चोवसिंघा (दुनिया का एकमात्र चार सींग वाला मृग), सियार, भारतीय लोमड़ी, लकड़बग्घा आदि प्रजातियां को देख सकते हैं। यह पार्क पक्षी प्रेमियों के लिए भी उपयुक्त है। यहां 200 से अधिक पक्षियों की प्रजातियों मिलती हैं। यहां सफेद पंखों और लंबी-चोंच वाले लुप्तप्राय गिद्धों की विशेष प्रजातियां पाई जाती हैं। यह जंगल 40 से अधिक प्रजातियों के सरीसृपों (रेंगने वाले जीव) और उभयचरों (जल और स्थल दोनों जगह रहने वाले जीव) का भी प्राकृतिक आवास है। बड़ी संख्या में मार्श मगरमच्छों को देखने के लिए, अभ्यारण्य में स्थित कमलेश्वर जलाशय का दौरा किया जा सकता है। यहां पाए जाने वाले सांपों में किंग कोबरा, सॉ स्केल्ड वाइपर, करैत और रसेल वाइपर प्रमुख हैं।

 1,412 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैले इस पार्क में लगभग 258 वर्ग किमी का मुख्य क्षेत्र है। यह पार्क जूनागढ़ से लगभग 65 किमी दक्षिण-पूर्व में स्थित है। इसे 18 सितंबर 1965 को एशियाई शेरों के संरक्षण के लिए वन्यजीव अभ्यारण्य के रूप में संरक्षित किया गया। जब शेर एशिया के अन्य हिस्सों से पूरी तरह से खत्म हो गए थे, तब जूनागढ़ में भी अंधाधुंध शिकार से गिर में उनकी संख्या लगातार कम होने लगी थी। इसको देखते हुए जूनागढ़ के नवाबों ने शेर के शिकार पर रोक लगा दी और फिर आगे इस मुहिम को वन विभाग ने संभाल लिया। वर्ष 1913 में गिर में लगभग 20 शेर बचे थे, जो वर्ष 2015 में बढ़कर 523 हो गए।