प्राचीन काल से नीलगिरी में निवास करने वाली जनजातियों में से एक है कोटा जनजाति। इस जनजाति की महिलाओं को ही कोटा स्टोन पॉटरी बनाने की अनुमति है। जहां अन्य पॉटरी कला में मिट्टी का इस्तेमाल करते हैं, वहीं कोटा पॉटरी में काले पत्थर का उपयोग किया जाता है। कोटा स्टोन पॉटरी से बनी वस्तुओं में बारीक नक्काशी होती है, जो आपके घर की शोभा बढ़ा देगी। कोटा स्टोन के एक्सट्राक्सन से लेकर मोल्डिंग, सेपिंग, और फायरिंग तक, सब कुछ जनजाति की महिलाओं द्वारा ही किया जाता है। जनजाति के भीतर पत्थर के बर्तनों के उत्पादों का उपयोग न केवल धार्मिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है, बल्कि रोजमर्रा की कार्यों जैसे खाना पकाने, सफाई, पानी के भंडारण, बर्तन आदि के लिए भी किया जाता है। महिलाएं अपने समुदाय के भीतर अनाज के बदले में बर्तनों का विनिमय (बार्टर) भी करती हैं। ऊटकमुंड में आमतौर पर सभी बाजारों में आदिवासी कलाकृतियों की बिक्री होती है।

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