सिख धर्म के इतिहास में एक बहुत महत्वपूर्ण घटना से जुड़ा हुआ धर्म स्थल गुरुद्वारा पत्थर साहिब लेह.कारगिल सड़क पर स्थित है।  इस गुरुद्वारा पठार साहिब को गुरु नानक की स्मृति और सम्मान में बनाया गया था। यह पूजा स्थल सिख धर्म में बहुत महत्वपूर्ण स्थान रखता है।  यह माना जाता है कि 1515.18 के दौरान जब गुरु नानक सिक्किमए नेपाल और तिब्बत की यात्रा करने के बाद श्रीनगर के रास्ते पंजाब लौट रहे थेए तब उन्होंने इस स्थान पर विश्राम किया था।  जब वह लेह पहुँचे तो वह यहाँ ध्यान करने बैठे थे।  उस समय की किंवदंती है कि यहाँ परए गुरु नानक ने एक राक्षस को परस्त किया।  जो उन्हें एक भारी पत्थर से कुचलने की कोशिश कर रहा था। हालांकि राक्षस ने जिस पत्थर को लुढ़काया थाए वह पिघल गया और गुरु नानक को मारने की बजाय उनके ही आकार में बदल गया था।  1970 में एक ऐसा बड़ा पत्थर खोजा गया थाए जिसके बारे में माना जाता है कि यह गुरु नानक की इस कहानी का ही हिस्सा है। इसके बाद भारतीय सेना ने स्थानीय लोगों की मदद से गुरु नानक को मत्था टेकने और आशीर्वाद लेने के लिए इस गुरुद्वारे का निर्माण कराया। अब इस मार्ग से गुजरने वाली सभी कारों के सवार लोग स्वयं पूर्ण आस्था के साथ प्रार्थना करते हैं और आशीर्वाद लेते हैं।  हर रविवार को भारतीय सेना के अधिकारी यहाँ सार्वजनिक सेवा के लिए आते हैं।

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