यह प्रतिष्ठित लाल रंग की इमारत इंदौर में सबसे विचित्र औपनिवेशिक संरचनाओं में से एक है। जो की सिवनी पत्थर में बनाया गया, हॉल इंडो-गोथिक वास्तुकला का एक उत्तम उदाहरण है। इसके गुंबद और मीनारें इसे शहर का एक योग्य सीमा चिन्ह बनाते हैं। बीच के हॉल में एक बार में लगभग 2,000 लोग बैठ सकते हैं। पूरे साल यहाँ पर हॉल में पुस्तक और चित्रकला की प्रदर्शनियों का आयोजन किया जाता है। वही टाउन हॉल के सामने एक लोकप्रिय क्लॉक टॉवर है, जो घंटा घर के नाम से प्रसिद्ध है। साथ ही इस परिसर में एक पुस्तकालय, एक बच्चों का पार्क और एक मंदिर भी है।

1904 में बनाये गए इस टाउन हॉल को मूलतः किंग एडवर्ड हॉल के नाम से नामांकित किया गया था और 1905 में प्रिंस ऑफ वेल्स, जॉर्ज V द्वारा उद्घाटन किया गया था। 1948 में इसका नाम बदलकर महात्मा गांधी हॉल कर दिया गया था।

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