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अजमेर शहर अपने चमड़े के काम के लिए प्रसिद्ध है, जो पारंपरिक और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करते हुए स्थानीय कारीगरों द्वारा किया जाता है। जवाजा और हरमाड़ा के गाँव चमड़े के सामानों के विनिर्माण के मुख्य केंद्र हैं। हरमाड़ा के कारीगर चमड़े की कुर्सियाँ, पर्स, हैंड बैग और जूतियाँ बनाने में माहिर हैं, जिन पर हाथ से कढ़ाई अर्थात कशीदाकारी की जाती है। यहाँ के तिलोनिया गाँव में चमड़े से बने सुन्दर कढ़ाई वाले डिजाइनर हैंडबैग, पर्स, बेल्ट, टोपी, स्टूल और कुर्सियाँ भी देश भर में प्रसिद्ध हैं। पर्यटक प्रसिद्ध मोजरियों या जूतियों को भी ख़रीद सकते हैं जो सिर्फ़ इस राज्य में ही पाई जाती हैं। उन्हें बनाने के लिए चमड़े में कशीदाकारी करने के बाद उस में छिद्र किए जाते हैं, फिर उसे जड़ा जाता है और कई आकर्षक रूप विन्यासों के अनुरूप सिला जाता है। ढोल और तबले जैसे वाद्ययंत्र बनाने में भी चमड़े का उपयोग किया जाता है, जो राजस्थान के लोक संगीतकारों द्वारा उपयोग किए जाते हैं।