माना जाता है कि 900 वर्ष पुराना शानदार वास्तुशिल्प वाला यह मंदिर, राजा रत्नदेव द्वारा 11वीं सदी में बनवाया गया था। नागर वास्तुशिल्प में बने इस मंदिर के चारों ओर 18 इंच मोटी चहारदीवारी बनी है, जो पत्थरों के 16 स्तंभों के सहारे खड़ी है। ऐसा कहा जाता है कि इस मंदिर में स्थित अनेक प्रतिमाएं पहले की सदियों में बने पुराने मंदिरों से यहां लाई गई थीं। मंदिर के मुख्य परिसर में भगवान विष्णु, सूर्य देव, भद्रकाली, महाकाली, भैरव, भगवान हनुमान एवं भगवान शिव की प्रतिमाएं रखी हुई हैं। 

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