नृत्य की तरह संगीत भी भारत के सांस्कृतिक मूल्यों की सामाजिक-धार्मिक अभिव्यक्ति का एक अविभाज्य हिस्सा है। भारत की संगीत परंपरा का सब से महत्वपूर्ण भाग हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीत है, जो पश्चिमी और उत्तरी भारत के विभिन्न भागों में गाया जाता है, और कर्नाटक शास्त्रीय संगीत जो देश के दक्षिणी भागों की परंपरा है। अन्य महत्वपूर्ण और लोकप्रिय संगीत के प्रकारों में सूफी परंपरा (पूरे उत्तरी और पश्चिमी भारत में), रबीन्द्र संगीत (पश्चिम बंगाल), और बिहू (असम) इत्यादि हैं। देसी और लोक संगीत की सुगंध भी भारत में बहुतायत से उपलब्ध है। मराठी लावणी, उत्तरखंडी संगीत, उत्तर भारतीय ठुमरी, दादरा, ग़ज़ल, क़व्वाली और यहाँ तक कि तमांग सेलो जो कि नेपाल की प्रतिष्ठित संगीत परंपरा है, भारत के कई भागों में भी उतनी ही लोकप्रिय है। 

इन में से संगीत के कई प्रकार शुद्ध रूप में या एक दूसरे में मिला कर और उन में पाश्चात्य संगीत का तड़का लगा कर एक और लोकप्रिय रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं, जिसे बॉलीवुड संगीत कहते हैं।

संगीत के जुनूनियों को इन से बिलकुल अलग हट कर भी कुछ संगीत महोत्सवों का आनंद उठाना चाहिए जैसे कोलकाता की डावर लेन म्यूजिक कॉन्फ्रेंस, रूहानियत अक्रॉस द कंट्री, वाराणसी का संकट मोचन संगीत समारोह, उदयपुर वर्ल्ड म्यूजिक फेस्टिवल, अरुणाचल प्रदेश का ज़ीरो फेस्टिवल ऑफ म्यूजिक और महाराष्ट्र के सनबर्न और सुला फेस्ट।