विशाखापट्नम में मौजूद आकर्षक सिंहचलम पहाड़ी, खूबसूरती से तराशे गए, श्री वराह लक्ष्मी नरसिंग मंदिर के लिए प्रसिद्ध है, जिसे सिंहचलम मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर भगवान विष्णु को समर्पित है, जिनकी यहां वाराह नरसिम्हा के रूप में पूजा की जाती है। यह मंदिर दक्षिण भारत के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है, हर साल लाखों भक्त इसे देखने आते हैं। यह भव्य मंदिर एक किले के जैसा दिखता है, इसमें तीन बाहरी आंगन और पांच प्रवेश द्वार हैं। यह चालुक्य, चोल और कलिंग या ओडिशन वास्तुकला का एक अद्भुत संयोजन है और इस मंदिर में कई उप-मंदिर और मंडप हैं। यहां मौजूद 16-स्तंभाेें वाला नाट्य मंतप और 96 स्तंभाें वाला कल्याण मंतप पहली शताब्दी में बनाए गए थे। वर्ष के अधिकांश समय यहां के मुख्य देवता, श्री लक्ष्मी नरसिम्हा स्वामी पर चंदन की एक मोटी परत चढ़ाई जाती है। पौराणिक कथा के अनुसार भगवान विष्णु ने अपने अनन्य भक्त प्रह्लाद को अपने पिता से बचाने के लिए नरसिंह का अवतार लिया था, जिसमें उनका सिर जंगली सूअर का, धड़ मानव के जैसा और पूंछ सिंह की भांति थी। सिंहचलम मंदिर विशाखापट्नम से लगभग 20 किमी की दूरी पर स्थित है।

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