दुनिया की सबसे बड़ी तोप समझी जाने वाली मलिक-ए-मैदान या जिसे मैदान का सुल्तान भी कहते हैं, विजयपुर के सबसे अधिक दर्शनीय पर्यटन स्थलों में से एक है। 16वीं शताब्दी में, आदिलशाह और विजयनगर साम्राज्य के बीच तालीकोट का युद्ध (वर्ष 1565) हुआ। इस युद्ध में विजयनगर की हार हुई। युद्ध के बाद इब्राहिम आदिल शाह II ने इस तोप को शेर्ज़ा बुर्ज (बुर्ज- ए- शरीफ) पर स्थापित करवा दिया। इस तोप का व्यास 15 मीटर और वज़न लगभग 55 टन है। यह तोप मध्यकाल का सबसे बड़ा हथियार था। तोप के नोज़ल को खुले जबड़े वाले शेर की आकृति में डिज़ाइन किया गया है। इसे मुहम्मद बिन हुसैन रूमी द्वारा घंटी के धातु से बनाया गया था, यह तोप 4.2 मीटर (14 फीट) लंबी है, छूने पर इसमें से घंटी की तरह आवाज आती है। इस तोप पर मुगल सम्राट औरंगजेब द्वारा लिखवाया गया एक अभिलेख भी है। ऐसा कहा जाता है कि औरंगजेब ने वर्ष 1686 में इस तोप, मालिक-ए-मैदान को अपने कब्जे में कर लिया था।

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