विजयपुर के बाहरी इलाके में स्थित, कुमटगी का विचित्र गांव 1627 और 1656 ई. के बीच मोहम्मद आदिलशाह द्वारा निर्मित एक प्राचीन ग्रीष्मकालीन सैरगाह है। सैरगाह परिष्कृत जल प्रणाली का एक बेहतरीन नमूना है जो आदिलशाही शासनकाल के दौरान बनाया गया। सुंदर झील, महल और शाही स्नानघरों के लिए यह सैरगाह प्रसिद्ध है। यह हरे-भरे घास के मैदान से घिरा है। जब आप सैरगाह परिसर में प्रवेश करते हैं, तो वहां पांच मेहराबों वाली पत्थर की एक दीवार देख सकते हैं। यह दीवार स्नान घर की इमारत का एक हिस्सा है जिसमें झरने-फव्वारे और बाथटब हैं। स्नानघर परिसर के आंतरिक भाग को मोर्टार भित्ति चित्रों और रंगीन चित्रों से सजाया गया है। यहां एक शानदार महल भी है जो बहते जलस्रोतों से घिरा है। महल की दीवारों पर इंसान और जानवरों की मूर्तियों से सजावट की गयी है। पर्यटक पूरे सैरगाह परिसर में कई पाइपलाइनों को देख सकते हैं। सौ मीटर दूरी पर स्थित झील से इन पाइपलाइनों से होकर यहां पानी पहुंचता है, जो इस जलाशय का मुख्य जल स्रोत है। कुमटगी जाना वास्तव में एक बेहतरीन अनुभव है। यहां इतिहास के झरोखों से इसके महत्त्व का पता चलता है और अतीत में मौजूद समृद्ध वास्तुकला और कुशल जल प्रणाली से संबंधित एक महत्त्वपूर्ण अंतर्दृष्टि प्राप्त होती है।

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