यह मंदिर जैनियों के 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ को समर्पित है, जो शहर के मध्य क्षेत्र से दूर भेलूपुर में स्थित है। यह मंदिर अपने नाम के अनुरूप तीर्थंकर की जन्मस्थली का स्मरण कराता है। मंदिर में किया गया जाली का कार्य बहुत उत्कृष्ट व जटिल है। इसकी दीवारों पर भी नक्काशी इसका महत्व बढ़ाती है। इस मंदिर का प्रबंधन जैन धर्म के दिगाम्बर सम्प्रदाय द्वारा किया जाता है। पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र होने के साथ-साथ जैन समुदाय के लोगों के लिए यह तीर्थस्थल भी है। ऐसी मान्यता है कि यह भगवान आदिनाथ के समय में बनाया गया था। ऐसा भी कहा जाता है कि काशी के राजा की पुत्री सुलोचना का स्वयंवर यहीं पर आयोजित किया गया था। इस तीर्थ का उल्लेख विविध तीर्थ कल्प में भी मिलता है, जिसकी रचना आचार्य जी प्रभा सूरि स्वराजी ने 14वीं सदी में की थी। मंदिर में किया गया जाली का काम बहुत महीन एवं उत्कृष्ट है। मंदिर की दीवारों पर की गई नक्काशी इसके महत्व को और भी बढ़ा देती है।     

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