लकड़ी से बनने वाले खिलौने वाराणसी शहर के पारंपरिक हस्तशिल्पों में से एक है। यद्यपि यह शहर बहुत पावन माना जाता रहा है, इसलिए अधिकतर खिलौने देवी-देवताओं अथवा पशु-पक्षियों के रूप में बनाए जाते हैं। वास्तविक रूप से, इन खिलौनों पर हाथी दांत से नक्काशी की जाती थी, बाद में यह कला धीरे-धीरे लकड़ी से खिलौने बनाए जाने तक विकसित होने लगी। लकड़ी के खिलौनों पर लाख की नक्काशी होने लगी और यह प्रक्रिया बेहद पेचीदा होती है।

खिलौने बनाने की इस प्रक्रिया का सबसे अहम हिस्सा उचित लकड़ी का चयन होता है। उसके बाद लकड़ी को सुखाकर उसकी नमी को दूर किया जाता है। सामान्य रूप से, साल अथवा शीशम की लकड़ी को ही प्राथमिकता दी जाती है।

खिलौनों पर डिज़ाइन के लिए कलाकार चाकू तथा अन्य औज़ारों की मदद से लकड़ी को कुरेदते एवं काटते हैं। तब खिलौनों को रंगा जाता है। उसके बाद लाख भरते हैं और उत्पाद तैयार हो जाता है।