गिरिवलम तमिलनाडु की एक लोकप्रिय धार्मिक प्रथा है। इसमें हर महीने पूर्णिमा के अवसर पर भक्तगण अन्नामलाई पहाड़ी के चारों ओर चक्कर लगाते हैं। तिरुवन्नमलाई के अरुणाचलेश्वर मंदिर में हजारों भक्तगण पहाड़ी के चारों ओर 14 किमी की परिक्रमा लगाते हुए एकत्र होते हैं। गिरिवलम शब्द तमिल भाषा से आया है, जिसमें गिरि का अर्थ पहाड़ी और वलम का अर्थ परिक्रमा करना है। ऐसी मान्यता है कि जो इस क्रिया को करते हैं, उन्हें मानसिक और शारीरिक स्वास्थ लाभ होते हैं। अरुणाचलेश्वर मंदिर में आठ लिंगम हैं, जिन्हें अष्टलिंगम कहा जाता है। ये विभिन्न स्थानों पर स्थित हैं। इनका मुख अलग-अलग दिशाओं में है। इन लिंगों के नाम इंद्रलिंगम, अग्निलिंगम, यमलिंगम, निरूथिलिंगम, वरुनलिंगम, वायुलिंगम, कुबेरलिंगम और ईशानलिंगम है। प्रत्येक लिंगम पृथ्वी की अलग-अलग दिशाओं को दर्शाते हैं। माना जाता है कि जो भक्तगण गिरिवलम करते हैं; उन्हें कई लाभ होते हैं। गिरिवलम आमतौर पर नंगे पैर किया जाता है। भक्तगण पूरे रास्ते में पहाड़ी की चोटी की ओर देखते हैं और पूरी यात्रा में "ओम अरुणाचला" मंत्र का जाप करते हैं। पहाड़ी के चारों ओर 14 किमी की परिक्रमा करने का सबसे उपयुक्त समय सुबह 4.30 बजे से शुरू होता है। औसत गति से इस परिक्रमा को पूरा करने में आमतौर पर तीन से चार घंटे का समय लगता है। यह प्रथा उत्तर प्रदेश के मथुरा में भक्तों द्वारा की जाने वाली गोवर्धन परिक्रमा से मिलती-जुलती है।

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