चिंतामणि जैन मंदिर सूरत के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है जो लगभग 400 साल पहले बनाया गया था। यह पर्यटकों को, न केवल अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए बल्कि अपने चमत्कारी वास्तुकला के चलते भी आकर्षित करता है। यह मंदिर 17 वीं शताब्दी के अंत में, मुगल सम्राट औरंगजेब के शासनकाल में बनाया गया था। यह बाहर से तो साधारण दिखता है, लेकिन इसके अंदरूनी हिस्से की खूबसूरत नक्काशीदार इस कमी को पूरा करती है। मंदिर के लकड़ी के खम्भों पर वनस्पति रंग से की गई भव्य चित्रकारियां हैं, और खम्भे के ऊपर के नक्काशीदार कोष्ठक (ब्रैकेट) इसे चित्त आकर्षक बना देती हैं। जैन उपदेशक आचार्य हेमचंद्र और चालुक्य वंश के राजा कुमारपाल की, वनस्पति रंगों से बनी यहां की पेंटिंग काफी़ प्रसिद्ध हैं। मंदिर की लोकप्रियता का अंदाजा़ इस बात से लगाया जा सकता है कि लंदन संग्रहालय में, इसकी चंदन की एक प्रतिकृति (रेप्लिका) रखी हुई है।

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