राजभवन और अकाउंटेंट जनरल कार्यालय के पास स्थित, घोड़े की नाल के आकार की एक कृत्रिम झील वार्ड्स लेक का नाम ब्रिटिश अधिकारी, असम के तत्‍कालीन मुख्य आयुक्त, सर विलियम वार्ड के नाम पर रखा गया था। तब मेघालय उसी प्रशासन के अधीन था। चूंकि वह इसे स्थापित करने की योजना के साथ आया था, झील का नाम उसके नाम पर रखा गया। हालांकि, झील को पूरा करने का असली श्रेय कर्नल हॉप्‍किंस को जाता है, जिन्होंने वर्ष 1894 में जनता के लिए खोले जाने तक इसके निर्माण की देखरेख की थी। यह झील ग्रास कार्प नाम की मछली और बतखों को आश्रय प्रदान करती है, और झील पर बने पुल पर खड़े होकर उन्‍हें भोजन खिलाया जा सकता है। फूलों की क्‍यारियों और सजावटी रोशनियों के बीच टहलने के साथ-साथ आसपास की हरियाली का आनंद भी लिया जा सकता है। इस झील के परिसर में एक कैफेटेरिया भी है और पर्यटक इसमें नौका विहार भी कर सकते हैं।

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