गुजराती व्यंजन स्वाद में बेहद लाजवाब होने के साथ-साथ पोषक तत्वों से भी भरपूर होते हैं। गुजराती खान-पान की सबसे खास बात यह है कि प्रत्येक व्यंजन बिलकुल अलग तरह के मसालों को मिलाकर अलग विधि से पकाया जाता है। ढोकला (भाप से बनने वाला नमकीन व्यंजन), दूध पाक (चावल की पुडिंग), उंदियो (मिली जुली सब्जियों का व्यंजन), श्रीखंड (पानी निथारी हुई दही से बना मीठा व्यजंन), सुतरफेनी (चावल के आटे से बनने वाली एक मिठाई), मोहनथाल (बेसन को भूनकर बनाई जाने वाली मिठाई) और काशा (एक प्रकार की खिचड़ी) कुछ ऐसे व्यंजन हैं, जो यहां बेहद लोकप्रिय हैं। एक चीज जो यहां के खान-पान को देश के अन्य हिस्सों के खान-पान से अलग करती है, वह है गुजराती व्यंजनों में मीठे का अत्याधिक प्रयोग। 

दरअसल, पुराने जमाने में गुजरात के व्यापारियों और मजदूरों को गर्मी और उमस भरे वातावरण में काम करना पड़ता था तथा बहुत लंबी-लंबी दूरियां पैदल ही चलकर तय करनी पड़ती थीं। इसलिए शरीर में शर्करा का स्तर बनाए रखने के लिए अधिकतर गुजराती व्यंजनों को मीठा कर दिया जाता था या फिर नमक और अन्य मसालों की तुलना में व्यंजनों में चीनी का इस्तेमाल ज्यादा किया जाता था। गुजरात के खान-पान में यह चलन एक रिवायत के तौर पर आज भी जारी है। आमतौर पर समुद्र के किनारे बसे राज्य अपने सीफूड के लिए जाने जाते हैं। हालांकि यह राज्य समुद्र के किनारे बसा है, बावजूद इसके यहां का खान-पान और व्यंजन मुख्यतः शाकाहारी ही होते हैं। क्योंकि यहां जैन संस्कृति का बहुत गहरा प्रभाव है।