श्पादरी की हवेलीश् बिहार का सबसे पुराना चर्च है। यह पटना का महत्वपूर्ण स्थल माना जाता है। इसे वर्जिन मैरी विज़टैशन और मांशन ऑफ पादरी के नाम से भी जाना जाता है। सभी धर्मों के लोग नियमित रूप से इस चर्च में प्रार्थना के लिए आते हैं। क्रिसमस के दौरानए श्पादरी की हवेलीश् में उत्सव का माहौल होता है और यहां लोगों की भीड़ प्रार्थना करने के लिए लगी रहती है। बिहार आगमन के बाद रोमन कैथोलिकों ने श्पादरी की हवेलीश् का निर्माण वर्ष 1713 में करवाया था। इसका वर्तमान स्वरूप वर्ष 1772 में निखरकर सामने आयाय जब इसका इसी वर्ष पुर्ननिर्माण किया गया। इसे ट्रीटो नामक एक वेनिस वास्तुकार ने बनाया थाए जो विशेष रूप से इस उद्देश्य के लिए कलकत्ता ;अब कोलकाताद्ध से आया था। इसे सेंट मैरी चर्च भी कहा जाता हैए इसकी आधारशिला की लंबाई 70 फिटए चौड़ाई 40 फिट और ऊंचाई 50 फिट है। यह चर्च ब्रिटिश व्यापारियों और बंगाल के नवाब मीर कासिम के बीच हुए युद्ध और वर्ष 1857 के सिपाही विद्रोह का गवाह है। इस संस्था के इतिहास का सबसे आकर्षक पहलू यह है कि वर्ष 1948 में मदर टेरेसा ने यहां नर्स के रूप में औपचारिक प्रशिक्षण लिया था। वह जिस कमरे में रुकी थीए उसमें उनकी एक खाटए एक मेज और बहुत सी चीजें रखी गई हैं। यहां एक नोटिस बोर्ड पर लिखा है कि ष्मदर टेरेसा जिन्होंने पादरी की हवेली में प्रशिक्षण लेने के बाद अपने प्यार के मिशन को शुरू किया थाए वर्ष 1948 में इसी कमरे में रहती थी।ष् चर्च की घंटी इस संरचना की वास्तुकला का विस्मयकारी हिस्सा हैए जो दूर से ही दिख जाती है। यह वास्तुकला आश्चर्य पैदा करती है और इसमें बहुत गहन लेख और शिलालेख हैं।

अन्य आकर्षण