टुंडे कबाब

गलौटी कबाब की एक वैराइटी मशहूर और प्रिय टुंडे कबाब मांसए दहीए अदरकए लौंग और नींबू सहित लगभग 160 सामग्रियों से तैयार की जाती है। टुंडे कबाब को रूमाली रोटी या कुरकुरे श्उल्टे तवे का पराठाश् के साथ परोसा जाता है। गलौटी कबाब के बादए लखनऊ का यह शायद सबसे पसंदीदा कबाब हैए जिसे भरपेट खाने के लिए लोगों की भीड़ खोमचे वालों और रेस्तराओं में समान रूप से जुटती है। कबाब का नाम इसके सिरजनहारए हाजी मुराद अली के नाम पर रखा गयाए जो एक हाथ वाला कबाब बनाने वाला टुंडा था। किंवदंती यह है कि एक बार जब हाजी अली छत पर चढ़ गलौटी कबाब को सुधारने पर काम कर रहे थे तो वे छत से गिर गए और अपना एक हाथ गंवा बैठे। लेकिन इससे पाककला में पारंगत होने का उनका उद्यम बंद न हुआ.उन्होंने मज़दूरों को काम पर रखा और उन्हें सिखाया कि कैसे मांस का इतना महीन पेस्ट बनाया जाए कि मुंह में रखते ही कबाब शीघ्र पिघल जाए। अन्य कबाबों की तुलना में उनके इस सृजन में एक रेशमी और मख़मली बुनावट थी। अवध के तत्कालीन नवाब वाजिदअली शाह को कबाब की इस किस्म से प्यार हो गया और उन्होंने इसे देश भर में प्रचारित कर दिया। 1905 से लखनऊ में गोल दरवाज़ा इलाके में अपने स्वादिष्ट कबाब बेचना शुरू करने वाले हाजी मुराद अलीए अपने पीछे अपनी यह ज़ायकेदार विरासत छोड़ गये।

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