कोडुन्गल्लुर (क्रैन्गानोर)

कोच्चि के उत्तरी बाहरी इलाके में स्थित, कोडुन्गल्लुर अपने ऐतिहासिक किलों, भव्य मंदिरों और सुकून देने वाली मस्जिदों के लिए प्रसिद्ध है। इस तटीय शहर को वह स्थान भी माना जाता है, जहां 52 ईसवी में एपोस्टल, सेंट थॉमस आए थे। कोडुन्गल्लुर में मुख्य आकर्षण है क्रैन्गानोर का किला जिसे पुर्तगालियों द्वारा बनाया गया था। किले के खंडहर आज भी उस इमारत की भव्यता को दर्शाते हैं जिसकी कभी 18 फुट मोटी दीवारें थीं। देवी भद्रकाली को समर्पित वहां का एक अन्य आकर्षण कोडुन्गल्लुर भगवती मंदिर है। अपनी प्राचीनता के कारण यह मंदिर, पूरे क्षेत्र से भक्तों को अपनी ओर खींचता है और त्योहारों और अनुष्ठानों के दौरान वहां भारी संख्या में लोग आते हैं। पर्यटक चेन्‍नमंगलम आराधनालय में भी जा सकते हैं जिसका निर्माण पारंपरिक केरल शैली में किया गया है। यह मालाबार यहूदियों के सबसे पुराने आराधनालय में से एक है।

चेरामन मस्जिद देखने भी यात्री जाते हैं जो पश्चिम की ओर मुख वाले क्षेत्र की अन्य मस्जिदों के विपरीत पूर्व की ओर है।पास में एक और चर्च है, कोट्टाकवु चर्च, जो केरल में रहने वाले सीरियाई समुदाय से संबंधित है। इसे सात उन चर्चों में से एक माना जाता है जिसे एपोस्टल सेंट थॉमस द्वारा स्थापित किया गया था।2006 में, केरल के सांस्कृतिक मामलों के विभाग ने मुजिरिस हेरिटेज प्रोजेक्ट को उत्तर परवूर से कोडुन्गल्लुर तक क्षेत्र की ऐतिहासिक विरासत को वैज्ञानिक रूप से पुनः संरक्षित करने के लिए आरंभ किया था। इस क्षेत्र के कुछ अन्य ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल हैं- थिरुवंचिकुलम महादेव मंदिर, जो दक्षिण भारत के सबसे पुराने शिव मंदिरों में से एक है (भगवान शिव के बारे में कहा जाता है कि वे अपने पूरे परिवार के साथ यहां रहते थे), इडाविलंगु शिवकृष्णपुरम मंदिर जहां भगवान शिव और भगवान कृष्ण की मूर्तियां हैं, चिराक्कल कोविलकम, जो कोडुन्गल्लुर के शाही परिवार का महल है।

कोडुन्गल्लुर (क्रैन्गानोर)

वैकोम

कोच्चि के बाहरी इलाके में स्थित वैकोम, वैकोम महादेव मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। भगवान शिव को समर्पित यह मंदिर केरल शैली की वास्तुकला का एक जीवंत उदाहरण है। इसे लोकप्रिय रूप से दक्षिण की काशी कहा जाता है। भक्त एट्टूमनूर शिव मंदिर और कडुथुरथि थलीयिल महादेव मंदिर भी जा सकते हैं। कहा जाता है कि तीनों मंदिरों में पूजा करने से कई तरह के आशीर्वाद मिलते हैं। किंवदंती है कि राक्षस खरसुरा ने एक बार गंभीर तपस्या की और मोक्ष प्राप्त करने के लिए भगवान शिव से प्रार्थना की। भगवान शिव ने उन्हें उसकी सारी इच्छाएं पूरी कीं और उसे तीन लिंग दिए, और कहा कि इन लिंगों की पूजा करेगा तो उसे मोक्ष प्राप्त हो जाएगा। खरसुरा ने एक को अपने दाहिने हाथ में, दूसरे को अपने बाएं हाथ में और तीसरे को अपने गले में बांधा। लंबे समय तक यात्रा करने के बाद वह थोड़ी देर आराम करने बैठा। जब वह अपनी यात्रा जारी रखने के लिए उठा तो उसे महसूस हुआ कि वह तो लिंग उठा ही नहीं पा रहा है। भगवान शिव के जयकारे लगाने के बाद, उसे बताया गया कि भगवान शिव वहीं रहेंगे जहां उन्हें उन लोगों को मोक्ष देने के लिए बिठाया गया था जो उनकी पूजा करने आते हैं। यह कहा जाता है कि दाहिने हाथ में लिंग वैकुम है, बाईं ओर का एट्टुमानूर और गर्दन का लिंग  कडुथुरूथी है।

वैकोम

खरीदारी

कीमती और अर्ध-कीमती आभूषण, प्राचीन वस्तुएं, कॉफी, चाय, मसाले, धातु के बर्तन और सिरेमिक उत्पादों के साथ-साथ सोने को खरीदने के लिए सबसे अच्छे स्थानों में से एक स्थान है कोच्चि। इसके बाजारों में हमेशा रहने वाली चहल-पहल दुकानदारों के लिए किसी ख़ुशी से कम नहीं। महात्मा गांधी रोड पर कई ऐसे स्टोर हैं जो राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय ब्रांड रखते हैं। आपको यहां से केरल की प्रसिद्ध साड़ियां भी बजट के अंदर मिल सकती हैं। एक ऐतिहासिक केंद्र, ज्यू टाउन,  आपको अपनी विविधता और जीवंतता से रोमांचित कर देगा। प्राचीन दुकानों और हस्तकला की दुकानों से सुसज्जित, यहां आभूषण, कलाकृतियां और फर्नीचर का सामान मिलता है। अपनी खरीदारी पूरी करने के बाद, आप दुकानों के ऊपर बने कैफों पर जाकर पारंपरिक भोजन का स्वाद लेते हुए अपने पैरों को आराम भी दे सकते हैं। एक लोकप्रिय स्ट्रीट शॉपिंग अड्डा है ब्रॉडवे, जिसमें असंख्य छोटी-छोटी दुकाने हैं, जिनमें रसोई के बर्तनों से लेकर कपड़ों तक, हर तरह का सामान मिलता है। 

खरीदारी

कोच्चि में रिवर क्रूज

कोच्चि बैकवाटर में हाउसबोट पर पर्यटकों को एक अलौकिक किस्म का अनुभव हो सकता है। बस उस पर बैठकर आपको प्राकृतिक दृश्यों का आनंद लेना है, क्योंकि नाव धीरे-धीरे अनोखे गांवों और हरे-भरे वातावरण से गुजरती हुई आपके सपनों में पंख लगाए आगे बढ़ती जाती है। केरल के बैकवाटर कोच्चि से कोल्लम तक चलते हैं, जहां अलप्पुझा प्रवेश बिंदू है। किनारे पर लगे हरे-भरे ताड़ के पेड़ और यहां-वहां बसे गांवों वाले  बैकवाटर को देखना है तो नदी की यह यात्रा सबसे उत्तम रहती है। यह क्रूज एक तरह के आधुनिक हाउसबोट हैं जो कभी केटुवल्लम या बड़े जहाज हुआ करते थे जिनका उपयोग पहले व्यापार के लिए किया जाता था। जलमार्ग के आसपास की प्राकृतिक सुंदरता से मंत्रमुग्ध यात्री, इन विशाल और अच्छी तरह से सज्जित इन हाउसबोट को देख चकित रह जाते हैं और बार-बार वापस लौटने को आतुर रहते हैं।परंपरागत रूप से, एक केटुवल्लम, लट्ठे से लगभग 60 फीट लंबा और लगभग 15 फीट चौड़ा होता है। कुछ नए हाउसबोट की लंबाई 80 फीट से अधिक है! कटहल के पेड़ की लकड़ी, ताड़ की लकड़ी, नारियल के रेशे, बांस के खंभे, रस्सी, बांस की चटाई आदि जैसे स्थानीय रूप से मिलने वाले प्राकृतिक पदार्थों से निर्मित इन नावों में प्रकृति के हर परिवेश का समन्वय है। कीलों से जोड़ने के बजाय, उन्हें नारियल के जूट के साथ लकड़ी के तख्तों को बांधकर तैयार किया जाता है। तख्तों पर काजू के छिलके से निकाली गई राल का लेप लगाया जाता है। छत के निर्माण के लिए बांस के खंभे और ताड़ के पत्तों का उपयोग किया जाता है। इनमें से कुछ नावों में बिजली पैदा करने के लिए सौर पैनल भी हैं। अगर सावधानी से बनाए रखा जाए तो ये नावें दशकों तक चल सकती हैं।

कोच्चि में रिवर क्रूज

पीची

कोच्चि से 90 किमी की दूरी पर स्थित, पीची, पीची-वझानी वन्यजीव अभयारण्य के लिए जाना जाता है। वनस्पतियों और जीवों की समृद्ध विविधता के साथ, अभयारण्य में लगभग 50 प्रकार के ऑर्किड, सागौन, शीशम और कई औषधीय पौधे हैं। पर्यटक बाघ, तेंदुआ, सांभर हिरण, चित्तीदार हिरण, भौंकने वाले हिरण, एशियाई हाथी और भारतीय बिजोन  जैसे जीवों को भी यहां देख सकते हैं। पक्षियों, सांपों और छिपकलियों की कई प्रजातियां भी यहां देखी जा सकती हैं। 125 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला अभयारण्य 1985 में स्थापित किया गया था। यात्रा का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है। इस समय पर्यटक आसपास के क्षेत्रों में ट्रैकिंग के अवसरों का लाभ उठा सकते हैं। पर्यटक त्रिशूर से लगभग 20 किमी दूर बने एक बांध को देखने भी जा सकते हैं, और इस क्षेत्र की प्राकृतिक सुंदरता का आनंद ले सकते हैं। 3,200 एकड़ में फैला यह बांध एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है, जहां आप प्राकृतिक सुंदरता और शांति का अनुभव कर सकते हैं।

पीची

मलयट्टूर

पेरियार नदी और पश्चिमी घाटों के बीच स्थित, कोच्चि से 50 किलोमीटर दूर एर्नाकुलम जिले में स्थित मलयट्टूर का अनोखा शहर एक शांत पर्यटन स्थल है। इसका मुख्य आकर्षण है कैथोलिक चर्च, जो एपोस्टल सेंट थॉमस को समर्पित है। 609 मीटर ऊंचे मलयट्टूर हिल पर स्थित चर्च में दूर-दूर लोग आते हैं। मार्च और अप्रैल के महीनों के दौरान आयोजित एक वार्षिक त्योहार, मलयट्टूर पेरुनाल के दौरान यहां बड़ी संख्या में लोग आते हैं। माना जाता है कि सेंट थॉमस को समर्पित यह सबसे बड़ा तीर्थ केंद्र है। चर्च सेंट थॉमस फीस्ट के दौरान यहां का नजारा कुछ और ही होता है जो ईस्टर के बाद रविवार को आयोजित किया जाता है।पर्यटक सेंट सेबेस्टियन चर्च और पास में स्थित मैरी इमैक्युलेट के चर्च भी जा सकते हैं। यह शहर दुर्गा देवी मंदिर के लिए भी प्रसिद्ध है जहां पर्यटकों की हमेशा भीड़ लगी रहती है। 

मलयट्टूर

कुंभालंगी

राज्य के प्राचीन बैकवाटर से घिरा, कुंभालंगी अपनी तरह का पहला ईको-फ्रेंडली पर्यटक गांव है। वनस्पतियों और जीवों से युक्त, इस गांव में आने का मतलब है प्रकृति के बीच लौट आना। लंबी-लंबी उष्णकटिबंधीय पेड़ों की कतारें, जो दलदल से जमीन को भरते हैं, गांव लोकप्रिय चाइनीज फिशिंग नेट को देखने के लिए एक आदर्श स्थल है। पर्यटक यहां नाव की सैर या मछली पकड़ सकते हैं। इस तरह आसपास की जगहों के बारे में अच्छी तरह से जाना जा सकता है। दिलचस्प बात यह है कि गांव में प्लास्टिक पर प्रतिबंध है और यहां कोई मानव निर्मित संरचनाएं नहीं हैं।

पर्यटक कलाकारों के ग्राम ,कलाग्राम में भी जा सकते हैं, जहां हस्तशिल्प और मछली पकड़ने के उपकरण रखे हैं जिन्हें देखकर कोई भी स्तब्ध रह जाता है। मछली पकड़ने का एक मजेदार तरीका है कि चारा डालकर उसे पकड़ा जाए। वहां बने होमस्टे में आप रह सकते हैं और एक वास्तविक गांव के अनुभव का आनंद ले सकते हैं।

कुंभालंगी

कालड़ी

कालड़ी का तीर्थस्थल भारतीय दार्शनिक आदि शंकराचार्य के जन्मस्थान के रूप में प्रसिद्ध है, जिनका जन्म 8 वीं शताब्दी में हुआ था। कालड़ी में दो मूर्तियां हैं- एक दक्षिणामूर्ति और दूसरी देवी शारदा की। कालड़ी कई मंदिरों से सुसज्जित है, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण हैं श्री कृष्ण मंदिर, माणिकमंगलम मंदिर और श्री आदि शंकर कीर्थी मंडपम। आसपास फैले आध्यात्मिक उत्साह में डूबने के लिए, भक्त क्षेत्र के विभिन्न घाटों पर जा सकते हैं जो शांति से सराबोर हैं। पर्यटक लोकप्रिय क्रोकोडाइल घाट पर भी जा सकते हैं, जहां कहा जाता है कि एक मगरमच्छ ने एक बार युवा शंकराचार्य को पकड़ा था।

किंवदंती है कि एक दिन, शंकराचार्य की विधवा मां जब पूर्णा नदी में स्नान करने के लिए गई थीं तो बेहोश हो गई थीं। तब उनके पुत्र ने  भगवान कृष्ण से मदद के लिए प्रार्थना की और स्वामी ने उसे आशीर्वाद दिया और कहा कि जहां-जहां उसके कदम पड़ेंगे, वहीं नदी बहने लगेगी। इस प्रकार, नदी ने अपना रास्ता बदल दिया और यहां बहना शुरू कर दिया, और इस क्षेत्र को कालड़ी के रूप में जाना जाने लगा, जिसका अर्थ है पैर।

कालड़ी

डॉ. सलीम अली पक्षी अभयारण्य

कोच्चि की परिधि में स्थित, डॉ. सलीम अली पक्षी अभयारण्य में 320 से अधिक प्रजातियां हैं। देश के सर्वश्रेष्ठ अभयारण्यों में से एक, यह 25 वर्ग किमी के क्षेत्र में फैला हुआ है और पश्चिमी घाट के यूनेस्को विश्व विरासत स्थल की तलहटी में स्थित है। कुछ लोकप्रिय पक्षी जिन्हें आप देख सकते हैं, वे हैं मालाबार ग्रे हॉर्नबिल, क्रेस्टेड ईगल, रोज-बिल्ड रोलर, प्रायद्वीपीय खाड़ी उल्लू और सीलोन फ्रॉगमाउथ। इसके अलावा कई प्रवासी पक्षी भी यहां हैं। अभयारण्य में एक हिरण पार्क, एक स्मारिका की दुकान, एक पुस्तकालय, चित्तीदार हिरण और सांबर के लिए एक खुला बाड़ा और एक पशु पुनर्वास केंद्र भी है। इसका नाम प्रसिद्ध भारतीय पक्षी विज्ञानी डॉ. सलीम अली के नाम पर रखा गया है।

डॉ. सलीम अली पक्षी अभयारण्य

चेरुथुरुथी

नदी किनारे बना एक शांत गांव, राज्य के सांस्कृतिक केंद्र, कथकली प्रशिक्षण केंद्र के कारण, चेरुथुरुथी दुनिया भर में प्रसिद्ध है। कोच्चि से लगभग 120 किमी दूर स्थित, चेरुथुरथी लोकप्रिय पलक्कड़ गैप के पश्चिमी छोर पर स्थित है, और इस तरह अपने आसपास एक अनूठी स्थलाकृति का अनुभव कराता है। यहां का मुख्य आकर्षण है सुरम्य वातावरण के बीच 32 एकड़ क्षेत्र में फैला केरल कलामंडलम। यह विद्यालय कथक, कूदीअट्टम, ओट्टमथुलाल और मोहिनीअट्टम जैसे शास्त्रीय नृत्य रूपों के प्रशिक्षण के लिए एक प्रतिष्ठित संस्थान है। पर्यटकों को गुरुओं के साथ एक दिन बिताने का अवसर मिलता है। यह एक तरह का सांस्कृतिक पर्यटन पैकेज है और कला के बारे में अधिक जानने के लिए आप परिधान और कलारी गैलरी भी वहां देख सकते हैं। एक अन्य आकर्षण इरुणिलमकोड मंदिर है, जो वहां से एकदम नजदीक है, और भगवान दक्षिणामूर्ति को समर्पित है। वह एक चट्टानी पत्थर से बना मंदिर है जिसमें देवता की एक दुर्लभ मूर्ति स्थापित है जो एक आसान पर विराजमान हैं और जो अपने एक पैर को दूसरे पर रखे बैठे हैं। उनके चारों हाथों में पारंपरिक प्रतीक हैं और उसके सिर पर चांदी का मुकुट लगा है। मंदिर में भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की मूर्तियां भी हैं। किंवदंती है कि लगभग 300 साल पहले कुछ ग्रामीणों को इस मंदिर के बारे में पता लगा था। अब, यह मंदिर केरल सरकार के पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है।

चेरुथुरुथी

चेन्दमंगलम

चेन्दमंगलम का अनूठा गांव एक 175 साल पुराने आराधनालय के लिए प्रसिद्ध है जो कोच्चि में सबसे बड़ा है। एक विशिष्ट केरल शैली की वास्तुकला के साथ, यह अपने बारीक काम से सजी अपनी राजसी वेदी के लिए जाना जाता है। नजरें जैसा ही आप ऊपर उठाते हैं, तो आपको ऊंची छत दिखती है जो चमकीले चौकोर डिजाइन से चित्रित है। इसके अलावा, आराधनालय में बारीक नक्काशीदार रेलिंग और लघुस्तंभों के साथ एक लकड़ी की एक बालकनी है। एक अन्य बालकनी विशेष रूप से महिलाओं के लिए बनाई गई है और उत्कृष्ट लकड़ी के शिल्प कौशल का नमूना पेश करती है। एक सर्पिल लकड़ी की सीढ़ी आपको इस बालकनी तक ले जाती है।

एक समय में, कोच्चि के आसपास के क्षेत्र के शासकों के प्रधानमंत्रियों के जो कभी निवास स्थान थे, उन्हें भी देखा जा सकता है। आप यहां प्रदर्शित विभिन्न अवशेषों और दस्तावेजों के माध्यम से शानदार इतिहास का पता लगा सकते हैं। एक अन्य आकर्षण है वाईपीनकोट्टा सेमिनरी है जो पुर्तगालियों द्वारा 16 वीं शताब्दी में बनाया गया था। खंडहरों के बीच से गुजरते हुए ऐसा महसूस करता है जैसे हम इतिहास के पन्नों में कदम रख रहे हैं। 

चेन्दमंगलम

छोट्टानिक्कारा मंदिर

शहर के बाहरी इलाके में स्थित प्रसिद्ध छोट्टानिक्कारा मंदिर, देवी भगवती के अवतार देवी राजराजेश्वरी को समर्पित है। माना जाता है कि देवी भक्तों के मानसिक विकारों और बीमारियों को ठीक करती हैं। जब दोपहर में उन्हें देवी लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है तब उन्हें एक लाल कपड़े से लपेटा जाता है। शाम को, देवी को देवी दुर्गा के रूप में पूजा जाता है और नीले कपड़ों में लपेटा जाता है। भक्त परिसर में रखी भगवान शिव, भगवान गणेश, भगवान धर्मस्थल और उप-देवताओं की मूर्तियों के भी दर्शन कर सकते हैं। मंदिर की वास्तुकला उल्लेखनीय है क्योंकि इसमें तीन-स्तरीय गोपुरम या प्रवेश द्वार है और एक हाथी का छप्पर या अनाकोटिल है। सोने का पानी चढ़ा  ऊंचे झंडे पर जब दोपहर में सूरज की किरणें पड़ती हैं तो वह जगमगा उठता है। मंदिर में जाने का सबसे अच्छा समय गुरुथि पूजा के दौरान होता है जो शाम को की जाती है। पर्यटक वार्षिक छोट्टानिक्कारा माकम थोजल में भी भाग ले सकते हैं। इस त्योहार को बहुत धूमधाम से मनाया जाता है।

छोट्टानिक्कारा मंदिर

भूतनाथंकेट्टू बांध

एक निर्जन जंगल में स्थित, भूतनाथखुट्टू बांध एक लुभावना सुंदर जलाशय है, जहां पर्यटक नाव की सवारी का आनंद ले सकते हैं। इस जगह की उत्पत्ति से जुड़ा एक दिलचस्प मिथक है। ऐसा कहा जाता है कि वनों और पहाड़ी इलाकों से बने इस क्षेत्र को एक ही रात में भूतों द्वारा बनाया गया था। इस प्रकार इसका नाम भूतनाथंकेट्टु पड़ा। चूंकि बांध बनाने के लिए क्षेत्र की स्थलाकृति उपयुक्त थी, इसलिए इसे बहुत बाद में यहां बनाया गया था। राज्य के सबसे मनोरम स्थानों में से एक, यह बांध एक लोकप्रिय पिकनिक स्थल है। पर्यटक जंगल से गुजरते हुए ट्रैकिंग का आनंद भी ले सकते हैं। आप थेट्टाकैड के प्रसिद्ध सलीम अली पक्षी अभयारण्य देखने भी जा सकते हैं, जो पास में ही स्थित है।

भूतनाथंकेट्टू बांध

अम्बालप्पुज़्हा

Best known for the much-revered Sree Krishna Temple, the town of Ambalapuzha invites devotees from all over the country. Boasting a Kerala architecture style, the temple, dedicated to Lord Krishna, is a fine example of the skill of the artisans of that time. Don't miss Pal Payasam, a delicious daily offering of sweet milk porridge. The temple is renowned for Pallipaana (a ritual dance for Goddess Bhadrakali), which is performed every 12 years by velans or sorcerers. While touring the temple, one can come across majestic paintings depicting the avatars of Lord Vishnu. Interestingly, the temple was the site where the first Ottanthullal, a legendary satirical folk art, was performed. The best time to visit the temple is when the Ambalapuzha Temple Festival is held. An annual event, it is organised on Moolam day of Mithunam month of the Malayalam era.

अम्बालप्पुज़्हा

अलापुझा हाउसबोट क्रूज

The backwaters of Kerala, running parallel to the Arabian Sea, are one of the most popular tourist destinations in India. Alleppey, or Alappuzha, is especially popular for its houseboat cruises. The tranquil backwater cruises in Kerala are a unique experience, be it short ones in small canoes or boats, which meander through narrow canals, or longer stays on luxurious houseboats, which let you float along the emerald waters fringed by palm and coconut trees, as the serene countryside glides by.

The houseboats that ply here are modified kettuvallams or large traditional trading vessels used for transportation of rice and spices to nearby towns. As road transport gained importance, these graceful sailing behemoths faded away, only to re-emerge as floating hotels offering tourists all the luxuries of modern life. While the scenic beauty around the waterways is mesmerising, these spacious and well-decorated houseboats add to the charm of the experience.

अलापुझा हाउसबोट क्रूज

चेराई बीच

हरे-भरे नारियल के पेड़ों से घिरा, शहर के बाहरी इलाके में 15 किमी लंबा यह समुद्र तट सबसे लोकप्रिय पर्यटक आकर्षणों में से एक है। सुनहरी रेत की गोद पर इसके निर्मल, शांत और उथले पानी पर तैरते हुए आराम से तैराकी का आनंद लेने के लिए यह एक आदर्श जगह है। वाइपेन द्वीप के उत्तरी छोर पर स्थित, चेराई बीच बैकवाटर्स और समुद्र तट के अनुभव का एक संयोजन प्रदान करता है। समुद्र तट पर आसपास बिखरी अद्वितीय सीपियां और शंख और ठंडी हवा के झोंके, आप पूरा दिन वहां बिता सकते हैं। यदि आप भाग्यशाली हैं, तो आपको वहां डॉल्फ़िन भी दिख जाएगी। समुद्र तट पर धूप सेंकते हुए, पर्यटक लोकप्रिय चाइनीड फिशिंग नेट को भी देख सकते हैं। आप सर्फिंग और स्पीडबोट सवारी जैसे पानी के खेलों का भी लुत्फ उठा  सकते हैं। समुद्र तट के किनारे बहुत सारी दुकानें बनी हैं, जहां मालाबार व्यंजनों के बेहतरीन विकल्प मौजूद हैं। 

चेराई बीच

सनसेट क्रूज़

कोच्चि हार्बर क्षेत्र के शांत पानी में नौका विहार करते और विस्मय से सूरज की डूबते हुए गोले को पानी में डूबते हुए देखना, जो अपने प्रकाश से आकाश को नारंगी और लाल रंग के असंख्य रंगों में चित्रित करते हुए एक शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है, एक अनोखा नजारा है।  मरीन ड्राइव सूर्यास्त के शानदार दृश्यों को देखने के सबसे अच्छे स्थानों में से एक है। आप झील के किनारे सैर करने के बाद बैठ सकते हैं या मरीन ड्राइव पर एक क्रूज ले सकते हैं और क्षितिज के नीचे डूबते हुए सूरज को देखते हुए आपके बालों को सहलाती ठंडी हवा का आनंद ले सकते हैं। चाइनीज फिशिंग नेट, बोलगट्टी द्वीप और विलिंगडन द्वीप, इस सुरम्य पृष्ठभूमि को देखने के अनुभव को और अधिक करामाती बनाते हैं। अधिकांश परिभ्रमण दो घंटे तक होते हैं और फोर्ट कोच्चि और कोचीन शिपयार्ड जैसे प्रमुख स्थान उस दौरान देखे जा सकते हैं।

सनसेट क्रूज़