पंजाब का यह शहर अपने यहां स्थित स्मारकों के शानदार वास्तुशिल्प एवं बागों के लिए लोकप्रिय है। ये इंडो-अरब एवं फ्रांसीसी शैली में बनाए गए हैं। इस शहर की स्थापना 11वीं सदी में जैसलमेर के राणा कपूर (जिनके नाम पर इस शहर का नाम पड़ा) ने की थी। 

कपूरथला का मुख्य आकर्षण जगतजीत पैलेस है जो तत्कालीन महाराजा का निवास स्थान हुआ करता था। इसका निर्माण 1908 में हुआ था, कइयों का मानना है कि यह फ्रांस के प्रसिद्ध वर्सेल्स पैलेस की तरह बनाया गया था। वर्तमान में, यह सैनिक स्कूल की देखरेख में है, जहां पर राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) के लिए लड़कों को प्रशिक्षण दिया जाता और तैयारी कराई जाती है। एलिसी पैलेस भी देखने लायक जगह है। इसकी अखंड संरचनाएं एवं सुंदर फसाड आंखों को बहुत भाते हैं। इसका निर्माण 1962 में कुंवर बिक्रम सिंह द्वारा इंडो-फ्रांसीसी वास्तुशैली में कराया गया था। मूरीश मस्जिद एवं पांच मंदिर भी ऐसे ही स्थल हैं जिन्हें अवश्य देखना चाहिए। फोटोग्राफी में रुचि रखने वाले लोग कांजली आर्द्रभूमि क्षेत्र का रुख कर सकते हैं, जहां पर बड़ी संख्या में स्तनधारी जंतु एवं पक्षी पाए जाते हैं। कांजली झील पिकनिक के लिए उपयुक्त जगह है, जिसके आसपास सुंदर परिदृश्य एवं अद्भुत परिवेश विद्यमान हैं। विज्ञान में रुचि रखने वालों के लिए पुष्पा गुजराल साइंस सिटी देखने लायक जगह है। इस शहर के निकट सुल्तानपुर लोधी आध्यात्मिक जगह है, जो सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक से संबंधित है।

कपूरथला का आहलुवालिया राज-वंश के संस्थापक बाबा जस्सा सिंह से निकटतम संबंध रहा है, जिन्होंने यहां पर कई वर्षों तक शासन किया था। जगतजीत सिंह जो 1877 में यहां पर सत्तारूढ़ हुए थे और जिन्होंने 71 वर्षों तक इस शहर पर राज किया, माना जाता है कि वही इस आधुनिक शहर के वास्तुकार थे। उनके शासनकाल में ही इस शहर को टेलीफोन एक्सचेंज मिला, जल निकासी एवं पेयजल की आधुनिक प्रणाली, न्यायपालिका में सुधार, निःशुल्क व अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, राज्य की असेंबली तथा राज्य परिषद आदि की प्राप्त हुई थी।                

अन्य आकर्षण