देश की सशस्त्र सेनाएं जब अपनी शक्ति का शानदार प्रदर्शन करती हैं और देश के विभिन्न राज्य अपनी समृद्ध संस्कृति की झांकी प्रस्तुत करते हैं, ऐसे में गणतंत्र दिवस पर आयोजित होने वाली परेड रंग-बिरंगी एवं उत्साह से परिपूर्ण समारोह का रूप ले लेती है।

प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी को भारत के लाखों लोग गणतंत्र दिवस समारोह मनाने के लिए तैयार रहते है। यह विशेष दिवस भारत द्वारा 1950 में संविधान को अपनाने एवं एक गणतंत्र देश बनने की याद में मनाया जाता है। यद्यपि हमारा देश1950 में नई दिल्ली के इरविन स्टेडियम (अब नेशनल स्टेडियम) आयोजित की गई पहली शानदार परेड से लेकर 1955 में राजधानी के राजपथ पर होने वाली मुख्य परेड का साक्षी रहा है। इस वर्ष आयोजित होने वाली गणतंत्र दिवस परेड में देश की जनता को हाल ही में प्राप्त चिनूक माल वाहक एवं अपाचे लड़ाकू हेलीकाप्टर देखने को मिलेंगे। इनके अलावा, भारतीय वायु सेना (आईएएफ) पांच उन्नत सिस्टम का भी प्रदर्शन करेगी, जिनमें राफेल लड़ाकू विमान भी शामिल होगा। हालांकि, थल सेना की परेड में धनुष तोप प्रदर्शित की जाएगी, जिसे पिछले वर्ष ही सेना में शामिल किया गया है।

गणतंत्र दिवस पर आयोजित होने वाले समारोहों के तहत, देश के विभिन्न राज्यों में तिरंगा लहराया जाता है तथा सशस्त्र सेना के जवान व स्कूली बच्चे परेड निकालते हैं। इन सभी परेडों में से सबसे भव्य परेड नई दिल्ली में राजपथ पर निकलती है। यह एक शानदार परेड होती है, जिसे देखकर देश के नागरिक बहुत प्रेरित होते हैं। घोड़े पर सवार अंगरक्षकों के सानिध्य में देश के राष्ट्रपति परेड स्थल पर पहुंचते हैं। उसके बाद, देश के प्रधानमंत्री इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति पर जाकर उन शहीद जवानों को पुष्पांजलि देते हैं, जिन्होंने देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। देश के राष्ट्रपति 21 तोपों की सलामी और राष्ट्रीय गान के साथ राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराते हैं। तत्पश्चात, राष्ट्रपति सैनिकों को परमवीर चक्र, वीर चक्र, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र से सम्मानित करते हैं तथा बच्चों को राष्ट्रीय बहादुरी पुरस्कार प्रदान करते हैं।
परेड का आरंभ वीरता पुरस्कार से सम्मानित सैनिकों की टुकड़ी से होता है। ये सैनिक खुली जीप में बैठकर आते हैं और राष्ट्रपति को सलामी देते हैं। इनके पीछे शक्तिशाली टैंक, विभिन्न प्रकार के प्रक्षेपास्त्र एवं भारतीय सेना द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले अन्य शस्त्रों को प्रदर्शित किया जाता है। इनके बाद सशस्त्र सेनाओं के विभिन्न रेजिमेंट के जवानों, पुलिस, होम गार्ड एवं एनसीसी कैडेटों की परेड देखने को मिलती है। भारतीय सशस्त्र सेनाओं के कमांडर-इन-चीफ़ होने के नाते देश के राष्ट्रपति परेड की सलामी लेते हैं। देश की ताकत की एक प्रभावशाली झलक देखने के पश्चात, भारत के विभिन्न राज्यों द्वारा प्रस्तुत की गईं झांकियों के माध्यम से देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की तस्वीर देखने को मिलती है। इन झांकियों की गति 5 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है, जिससे लोग उसे आसानी से देख सकें। स्कूली बच्चे विविध प्रकार के सांस्कृतिक नृत्य भी प्रस्तुत करते हैं। परेड के अंत में जांबाज़ मोटर साइकिल सवार जवान हैरतअंगेज़ करतब दिखाते हैं और भारतीय वायु सेना के विमान जनपथ के ऊपर से उड़ान भरते हैं। 
परेड के इस विशेष आकर्षण में वायु सेना के 41 विमान हिस्सा लेते हैं। ये सभी विमान भारतीय वायु सेना के विभिन्न स्टेशनों से उड़ान भरते हैं और एक ही समय पर राजपथ पहुंचते हैं।
एक परंपरा के अनुसार गणतंत्र दिवस की परेड में हमेशा किसी मित्र देश के राष्ट्रपति, शासक अथवा प्रधानमंत्री को मुख्य अतिथिके रूप में आमंत्रित किया जाता है। पहली परेड में इंडोनेशिया के राष्ट्रपति डॉ सुकर्नो मुख्य अतिथि थे तथा इस वर्ष आयोजित होने वाली परेड में ब्राज़ील के बोलसोनारो मुख्य अतिथि होंगेI