2019 में दुर्गा पूजा का आयोजन 4 से 8 अक्टूबर को किया जा रहा है। इसका आरंभ 28 सितम्बर को महाल्या के साथ होगा।

दुर्गा पूजा भारत में मनाए जाने वाले बेहद लोकप्रिय पर्वों में से एक है, इसे विशेषकर बंगाली बड़ी धूमधाम से मनाते हैं। यह पर्व 10 दिनों तक मनाया जाता है, इसका आरंभ महाल्या ‘पहला दिन’ से होकर विजय दशमी ‘दसवां दिन’ तक चलता है। यद्यपि हर दिन का अपना महŸव होता है, किंतु छठे दिन से लेकर नौवें दिन तक विशेष महŸव होता है। इन दिनों देवी की विभिन्न रूपों में पूजा-अर्चना की जाती है। देवी को साहस, दया, प्रेम और शक्ति का प्रतीक माना जाता है। वह प्रेम करने वाली मां और गर्जना करने वाली योद्धा दोनों रूपों में पूजी जाती हैं, जिसने अकेले ही महिषासुर को हराया था।
क्यों मनाते हैं यह पर्व?किंवदंती के अनुसार दुर्गा मां ने असुर महिषासुर का संहार किया था। बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाने के लिए ही यह त्योहार मनाते हैं। ऐसा कहा जाता है कि यह युद्ध 10 दिनों एवं 10 रातों तक चला था। इसीलिए दसों दिन तक पूजा-अर्चना की जाती है।

कैसे मनाते हैं यह पर्व?इस पर्व की रोचक बातों में से एक यह कि इसमें देवी दुर्गा की प्रतिमाएं बनाई जाती हैं। लाइटें लगाकर रोशनी की जाती है। पंडाल सजाए जाते हैं तथा उनमें मां दुर्गा की प्रतिमा को स्थापित किया जाता है। इन पंडालों को विभिन्न थीम के अंतर्गत बनाया जाता है, कुछ में इतालवी गोंडोला से लेकर फ्रांस का एफिल टाॅवर बनाया जाता है। जात-पात का भेदभाव मिटाकर, इस पूजा में सभी का सहयोग होता है - पेंटर, पोर्टर एवं कलाकारों से लेकर मूर्तिकार, आभूषणकार एवं सफाई कर्मचारी जोर-शोर से हिस्सा लेते हैं।

कोलकाता में तो दुर्गा पूजा की छटा देखते ही बनती है। वहां पर विशाल एवं भव्य रूप से पंडाल बनाए जाते हैं और उन्हें विशेष रूप से सजाया जाता है। इस अवसर पर महिलाएं सफेद रंग की लाल बाॅर्डर वाली पारंपरिक साड़ियां पहनती हैं। वहीं पुरुष सफेद धोती कुर्ता पहनते हैं। शाम के समय, लोगों का हुजूम सड़कों पर निकल पड़ता है और एक पंडाल से दूसरे पंडाल जाते हैं। धार्मिक अनुष्ठानों के अतिरिक्त इस पर्व की विभिन्न विशेषताओं में से एक यह भी है कि इस दौरान स्वादिष्ट व्यंजनों का स्वाद चखने को मिलता है। पुचका ‘गोल-गप्पे’ से लेकर पापड़ी चाट, आपको खाने को अनेक पकवान